वाराणसी: अब हेड मास्टर परिषदीय विद्यालयों का लेखा-जोखा भी रखेंगे। सभी विद्यालयों के हेड मास्टर को नियमानुसार रोकड़ बही व लेजर भी बनाने का निर्देश दिया गया है ताकि गंभीर वित्तीय अनियमितताओं को रोका जा सके
पहले परिषदीय विद्यालयों में कोई अनुदान नहीं मिलता था। वर्तमान में परिषदीय विद्यालयों को ऑपरेशन कायाकल्प सहित विभिन्न योजनाओं से समय-समय पर अनुदान मिल रहा है। विद्यालय के हेड मास्टर स्कॉर्पियो भी कर रहे हैं इसके बावजूद तमाम विद्यालयों के पास खर्चे का कोई विवरण नहीं है गत दिनों का निरीक्षण किया तो यह बात खुलकर सामने आई। ज्यादातर विद्यालयों ने अपनी व्यक्तिगत डायरी में आय-व्यय का विवरण लिखिए हुए हैं ऐसे में इसकी एडिटिंग संभव नहीं है इसे देखते हुए हेडमास्टरों को अब अब कैश बुक लिखने की भी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी है दरअसल प्रधानाध्यापक विद्यालय के शैक्षणिक कार्य के साथ-साथ प्रशासनिक कार्य करते हैं। इसमें वित्तीय कार्य की भी शामिल है। वही जानकारी के अभाव में हेड मास्टर खाता बही नहीं बना रहे हैं जो गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि अगले वित्तीय वर्ष से सभी विद्यालय को अनिवार्य रूप से रोकड़ बही या लेजर बनाने का निर्देश दिया गया है बीच-बीच में निरीक्षण के दौरान में हेड मास्टरों का रोकड़ बही या के बारे में जानकारी दी जाएगी