मेरठ: बेसिक शिक्षा परिषद में हुए शिक्षकों की स्थानांतरण प्रक्रिया में सर्वाधिक लाभ महिला शिक्षकों को दिया गया है। वही अंकों में भी महिला शिक्षक होने के नाते 5 अंक और सेवा अवधि को जोड़ा गया है। जबकि पुरुष शिक्षकों की केवल सेवा अवधि को जोड़ा गया है। पुरुष शिक्षकों का दर्द है कि जब महिला पुरुष शिक्षकों का वेतन आदि सब समान है तो फिर इतना भेदभाव क्यूं? इस प्रक्रिया से तो कभी भी पुरुषों का स्थानांतरण संभव ही नहीं है। सरकार को वरिष्ठता के आधार पर स्थानांतरण नीति बनानी चाहिए थी।
कि 54000 शिक्षकों के ट्रांसफर किए जाएंगे, जबकि ट्रांसफर किए गए 21695 अध्यापकों के ही। जिसमें महिला शिक्षक 12174, पूर्व शिक्षक 7521, गंभीर रूप से बीमार 1499,सैनिकों के परिवार 956 और 1193 दिव्यांग शिक्षकों की ही ट्रांसफर किए हैं। देश भर में अनेक शिक्षक ऐसे हैं जो अपने घर परिवार और बच्चों से कई 100 किलोमीटर दूर कार्यरत हैं। इस ट्रांसफर प्रक्रिया में सब मुंह उठाई अपने जनपद अथवा आसपास जाने की बाट जो रहे थे। लेकिन सब के अरमान आंसुओं से बह गए। कई शिक्षकों का कहना है कि भर्ती में महिलाओं को 50 फ़ीसदी की वरीयता दी जाती है। और ट्रांसफर प्रक्रिया के तो कोई मानक ही नहीं है।