प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर्जनपदीय तबादले को लेकर प्राथमिक विद्यालयों की अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि बच्चे की बीमारी अध्यापिका के अंतर्जनपदीय तबादले का वैध आधार हैं। इससे पूर्व सिर्फ पति और पत्नी की बीमारी के आधार पर ही अंतर्जनपदीय तबादले की मांग की जा सकती थी। कोर्ट ने कहा कि बच्चे की बीमारी एक संवेदनशील मामला है और इस पर विचार न करके तबादला करने से इनकार करना अनुचित है। प्रयागराज की सहायक अध्यापकों सईदा रुखसार मरियम रिजवी की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने दिया है।
याची के अधिवक्ता नवीन शर्मा का कहना था कि याची के साडे 5 वर्ष का बेटा अस्थमा से पीड़ित है। उसकी बीमारी 80% तक है। उसके पति लखनऊ में बिजली विभाग में इंजीनियर है। या चीनी बेटे की बीमारी का हवाला देकर अंतर्जनपदीय तबादले की मांग की थी मगर उसका आवेदन बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिया गया। 2019 के शासनादेश का ध्यान नहीं रखा गया ।
अधिवक्ता की कुंकू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में दिए गए फैसले का हवाला भी दिया। कूट का कहना था कि अध्यापक सेवा नियमावली के नियम 8 ( 2)(डी) का उद्देश महिला के हितों की रक्षा करना है.। इसीलिए उसे कुछ स्थान पर नियुक्ति दी जानी चाहिए जहां उसका पति कार्यरत है। शिवानी मालिनी बच्चे की बीमारी का कोई जिक्र नहीं है मगर या अक्षम व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम 2016 में दिया गया है। 2 दिसंबर 2019 का शासनादेश इसी अधिनियम के आधार पर जारी किया गया है। कोर्ट ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नहीं देने संबंधी 27 फरवरी 2020 के आदेश को रद्द करते हुए बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को 1 मह के भीतर याची के स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है।