प्रयागराज: सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में फर्जी b.ed डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे 812 शिक्षकों की सेवा समाप्ति का आदेश दिया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने विगत 26 फरवरी को अपने आदेश में शिक्षकों की बर्खास्तगी को सही ठहराया था और एकल पीठ के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए आदेश में कहा है कि फर्जीवाड़ा करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्ति के साथ ही उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाए।
सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश मिल गया है। 814 अभ्यर्थियों में अनीता मौर्या और विजय सिंह को छोड़कर 812 शिक्षकों की डिग्री के फर्जी होने की पुष्टि हुई है। सचिन ने प्रदेश के सभी बीएसए से कहा है कि इनमें से जो शिक्षक दूसरे जिले में ट्रांसफर हो गए हैं उनके बारे में पता कर की सेवा समाप्ति का आदेश पालन कराए। हाई कर्ट ने 26 फरवरी 2021 के आदेश को 4 महीने में अनुपालन करने को कहा था। सचिन के अनुसार हाईकोर्ट की ओर से रिकवरी की कार्रवाई नहीं करने की आदेश के बाद फिलहाल इन शिक्षकों से वेतन की वसूली नहीं की जाएगी।
यह था मामला
आगरा विश्वविद्यालय की 2005 की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर हजारों लोगों ने सहायक अध्यापक की नियुक्ति प्राप्त कर ली थी। इन डिग्रियों की जांच कराने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई। हाई कोर्ट में जांच का आदेश देते हुए एसआईटी गठित की। जिसमें अपनी रिपोर्ट में व्यापक धांधली का खुलासा किया। सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। अट्ठारह सौ 14 लोगों ने जवाब दिया। शेष ने नोटिस का जवाब नहीं दिए। बीएसए ने फर्जी अंक पत्र व अंकपत्र से छेड़छाड़ की दो श्रेणियों वालों को बर्खास्त कर दिया। हाईकोर्ट की एकल चीज के अंकपत्र में छेड़छाड़ करने के आरोपियों की विश्वविद्यालय को जांच कराने का निर्देश दिया था। और कहा था कि बर्खास्त अध्यापक से अंतरिम आदेश से लिए गए वेतन की बीएसए वसूली कर सकता है। न्यायमूर्ति एम एम भंडारी तथा न्यायमूर्ति सौरव श्याम शमशेर की खंडपीठ ने एकल पीठ के वेतन वसूली के आदेश पर रोक लगा दी थी।