प्रयागराज : बेसिक शिक्षा विभाग में मनमाने तरीके से कार्य करने का नायाब मामला सामने आया है। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने वार्षिक स्थानांतरण नीति के तहत 29 जून, 2019 को बड़े पैमाने पर समूह ‘ग’ कर्मियों यानी लिपिकों के तबादले किए। उनमें से आधे कर्मियों को 11 महीने तक रिलीव ही नहीं किया गया। कोरोना संक्रमण के दौर में कुछ कर्मचारी रिलीव हुए तो वे कोर्ट पहुंचे। शासन ने असहज स्थिति में 12 मई, 2020 के बाद रिलीव हुए कर्मचारियों का स्थानांतरण निरस्त कर दिया। अब शासन क्रियान्वयन में दोषी अफसरों को खोज रहा है, जिसमें टालमटोल की जा रही है।
बेसिक शिक्षा निदेशालय की ओर से अधीनस्थ राजकीय कार्यालयों व संस्थानों में कार्यरत लिपिकों का 29 जून, 2019 को तबादला किया था। पांच अलग-अलग आदेशों में कुल 162 लिपिक इधर से उधर भेजे गए। स्थानांतरण आदेश का जिन अफसरों को क्रियान्वयन करना था उन्होंने उदासीनता बरती। इसी बीच कोरोना संक्रमण बढ़ा तो 12 मई, 2020 को तबादले न करने का आदेश हुआ। उसके बाद भी अफसरों ने 2019 के आदेश पर कई कर्मचारियों को कार्यमुक्त कर दिया। उन कर्मचारियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो शासन ने कोर्ट में शपथपत्र देकर कहा कि तबादले निरस्त किए जा रहे हैं। शासन ने इस मामले की छानबीन की तो पाया कि 162 लिपिकों में से 87 को 12 मई, 2020 तक रिलीव नहीं किया गया था। विशेष सचिव आरवी सिंह ने तबादलों का समय पर क्रियान्वयन न करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए नाम व पदनाम सहित प्रस्ताव भेजने का आदेश दिया। शासन ने यह भी लिखा कि बेसिक शिक्षा निदेशक ने शासन को रिपोर्ट नहीं भेजी है। हालांकि, निदेशक बेसिक शिक्षा डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने 31 मार्च, 2021 को अपर शिक्षा निदेशक बेसिक को पत्र भेजकर कहा कि प्रस्ताव अविलंब उपलब्ध कराएं। अब इस मामले में तेजी से छानबीन चल रही है। निदेशालय के अफसरों का कहना है कि प्रकरण गंभीर है और रिपोर्ट जल्द ही भेजी जाएगी।