लखनऊ: ऑनलाइन पढ़ाई दूरदर्शन ऑफलाइन ऐप यानी पढ़ने पढ़ाने की इंतजाम ढेरों लेकिन यह नहीं पता कि बच्चा पढ़ भी रहा है या नहीं। कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दो वर्षो से परीक्षाएं ना होने के कारण यह भी नहीं पता कि बच्चे कुछ सीख भी रहे हैं या कोई दिक्कत है।
इसका रास्ता निकालते हुए बेसिक शिक्षा विभाग छोटे-छोटे व्हाट्सएप टेस्ट के माध्यम से आकलन करेगा और इसके आधार पर बच्चों की सुधार के लिए सामग्री भी भेजी जाएगी। आकांक्षी जिलों में चले पायलट प्रोजेक्ट में इससे बच्चों में 50 से जी सुधार पाया गया और उनका पढ़ाई की तरफ रुझान ज्यादा हुआ।
पिछले वर्ष से कोरोना संक्रमण के कारण ना तो परीक्षाएं हो पाई हैं और ना ही किसी अन्य तरह का आकलन हो रहा है। इसीलिए अब दो संस्थाओं के माध्यम से यह नवाचार किया जा रहा है। हालांकि इसमें केवल वह बच्चे ही शामिल हो पा रहे हैं जिनकी अभिभावकों के पास स्मार्टफोन है।
कक्षा 6 से 8 तक के लिए कनवेजीनियस संस्था काम करेगी। संस्था ने दो-तीन महीने तक आठ आकांक्षी जिलों में व्हाट्सएप द्वारा बच्चों में निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित अभ्यास कराया। इसे साप्ताहिक तौर पर किया गया और मूल्यांकन में जो कमियां आई उसके लिए बच्चों को उनके हिसाब से रिमेडियल सामग्री भी भेजी गई। अब इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है। संस्था एक इंपैक्ट डैशबोर्ड भी तैयार करेगी जिससे बच्चों का सीखने का स्तर स्कूल वार, ब्लॉक वारवा जिलेवार देखा जा सकेगा।
वही कक्षा 1 से 5 तक विभाग राकेट लर्निंग के साथ काम कर रहा है। इसमें भी व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से 2 से 3 मिनट के अभ्यास भेजे जाएंगे पूरे हफ्ते पाठ सामग्री पर 2 से 3 मिनट के वीडियो या एक्टिविटी करवाने के बाद बच्चों की प्रतिक्रिया ली जाती है। और हफ्ते की आखिरी में इसका टेस्ट लिया जाता है टेस्ट के बाद बच्चों के सीखने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए रेमेडियल सामग्री भेजी जाती है हफ्ते के अंत में संस्था बच्चों को सर्टिफिकेट देती है और उनका वीडियो बनाकर डालती है।