प्रयागराज :कोरोना काल में मृत सैकड़ों अधिकारियों, शिक्षकों और कर्मचारियों के आश्रितों को राज्य सरकार के एक कदम से लाखों रुपये का फायदा हो सकता है। केंद्र सरकार ने 30 मार्च को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में कर्मचारी हित में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए थे जो दो महीने के बाद भी यूपी में लागू नहीं हो सके हैं। इन मृतकों के परिवारों को संशोधन लागू होने का इंतजार है ताकि उनका जीवन कुछ आसान हो जाए।केंद्र सरकार ने सबसे महत्वपूर्ण संशोधन किया है कि एनपीएस में अभिदाता यानि कर्मचारी के अंशदान तथा उसके लाभांश को भी उसके आश्रित को एकमुश्त दे दिया जाएगा। पहले किसी अभिदाता की मृत्यु होने पर उसके आश्रित को पुरानी पेंशन के लिए मृतक के अंशदान तथा उसके लाभांश को सरेंडर करना होता था। सेवाकाल के अनुसार यह रकम लाखों रुपये तक होती है।अब यह राशि सरकारी खाते में न जाकर मृतक आश्रित को मिलेगी। प्रथम नियुक्ति की दशा में कर्मचारी का पहला अंशदान उसके नियुक्ति के महीने से ही की जाएगी। यदि प्रान खाता (परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर) का आवंटन समय पर नहीं होता है, तो भी कर्मचारी के वेतनों का भुगतान अंशदान काटकर किया जाएगा।खाता खुलने पर वेतन से काटी गई धनराशि (अंशदान) जीपीएफ की दर से ब्याज के साथ उसके खाते में जमा कराई जाएगी। यदि प्रशासनिक चूक के कारण अंशदान जमा करने में देरी होती है और उसके कारण सरकार को ब्याज का भुगतान करना पड़ता है, तो जिम्मेदार अधिकारियों से उक्त राशि वसूल की जाएगी।
विकल्प नहीं भरा तो पुरानी पेंशन के लाभ देय होंगे
सभी सेवकों/अभिदाताओं को मृत्यु या अशक्तता की स्थितियों के संबंध में नियुक्ति के समय ही पुरानी पेंशन / नई पेंशन लेने का विकल्प चुनना होगा। यदि अभिदाता के द्वारा कोई विकल्प नहीं भरा गया और मृत्यु हो गई, तो 15 वर्ष से कम सेवा होने पर या इस नियम के अधिसूचित किए जाने के 3 वर्ष के भीतर मृत्यु की दशा में पुरानी पेंशन के लाभ देय होंगे।
इनका कहना है
ठकुराई गुट ने 15 मई 2021 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर केंद्र सरकार की भांति एनपीएस में शीघ्र संशोधन करने की मांग की है। जिससे कि प्रदेश में कोरोना से दिवंगत हुए शिक्षकों और कर्मचारियों के आश्रितों को इसका लाभ मिल सके।
लालमणि द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री ठकुराई गुट