प्रयागराज। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों से सरकार कोरोना महामारी के दौरान जून माह में बिना मानदेय के काम ले रही है। शिक्षामित्रों को 26 मई 1999 में नियुक्ति के समय से ही सालभर में 11 महीने का ही मानदेय दिया जाता रहा है। परिषदीय विद्यालयों में जून माह में अवकाश होने के चलते उन्हें इस अवधि का मानदेय नहीं दिया जाता है। शिक्षामित्र समय-समय पर पूरे बर्ष मानदेय देने की मांग उठाते रहे हैं, सरकार जून में
विद्यालय बंद होने की बात कहकर मानदेय देने से बचती रही है। 2020 और 2021 में कोरोना के चलते सरकार की ओर से कोबिड सर्वे के लिए शिक्षामित्रों की ड्यूटी लगा दी है। अब पूरे जून शिक्षामित्र बिना किसी मानदेय के जान जोखिम में डालकर कोविड सर्वे का काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संघ ने शिक्षमित्रों से जून महीने में बिना वेतन काम लेने को लेकर सवाल उठाया है। संघ ने सरकार पर शिक्षामित्रों से बेगारी कराने का आरोप लगाया है। संघ का “ कहना है कि सरकार शिक्षामित्रों को स्कूल बंद होने की अवधि में जून के वेतन का भुगतान नहीं करती है। शिक्षामित्रों को कोविड कंट्रोल में लगा दिया गया। उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संघ के संतोष शुक्ला का कहना है कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में डेढ़ लाख से अधिक शिक्षामित्र ऑनलाइन शिक्षण, कोविड कंट्रोल सहित दूसरे विभागीय कार्यों में लगाए गए हैं। उन्हें इस कार्य का कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है। इससे शिक्षामित्र निराश हैं, उनका मनोबल दूट रहा है। 11 महीने का मानदेय देकर 12 महीने काम लेना गलत है। उन्होंने सरकार से चुनाव ड्यूटी के बाद जान गंबाने बाले शिक्षकों के समान ही शिक्षामित्रों को सहायता एवं नौकरी की मांग की हैं। सरकार शिक्षामित्रों को जून का मानदेय उपलब्ध करवाए।