प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अध्यापक को सेवानिवृत्ति से 15 दिन पहले मनमाने तरीके से सेवा से हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है और कॉलेज के प्रबंधक को नोटिस जारी कर उनसे व राज्य सरकार से इस मामले में आठ सप्ताह में जवाब मांगा है।यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने अश्वनी कुमार त्रिपाठी की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी व एडवोकेट विभू राय को सुनकर दिया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना है कि याची मोतीराम द्विवेदी इंटर कॉलेज फरेंदा खुर्द महराजगंज में अध्यापक के रूप में कार्यरत था। वह 31 मार्च 2021 को सेवानिवृत्त हो गया है। वह दो जुलाई 2020 से चिकित्सकीय अवकाश पर था। उसे 14 मार्च 2021 को प्रबंधक ने ऐसे आरोप पर सेवा से हटा दिया, जिसके आधार पर याची को कठोर दंड नहीं दिया जा सकता।यही नहीं, आदेश जारी करने से पहले उसे नोटिस नहीं दिया गया और न ही सुनवाई का मौका दिया गया, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। सीनियर एडवोकेट का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा रेग्युलेशन 32 में सेवा से हटाने की परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है। याची के मामले में ऐसी कोई स्थिति नहीं है, जिससे उसे सेवा से हटा दिया जाए। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय मानते हुए राज्य सरकार व कॉलेज प्रबंधक से जवाब मांगा है।