प्राइमरी स्कूलों में 1.80 करोड़ विद्यार्थियों की योग्यता का आकलन जिस दिन होगा, उसी दिन शाम तक रिजल्ट भी आ जाएगा ये कमाल होगा आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से…। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए तैयार ‘सरल एप’ का पायलट लखनऊ में सफलतापूर्वक करने के बाद अब इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इसका इस्तेमाल सैट (स्टूडेंट असेसमेंट टेस्ट) में किया जाएगा।
सैट अभी तक वर्ष में दो बार होता है। 2020 में सैट नहीं लिया गया लेकिन इसे कराने की तैयारी है। सैट वर्ष में तीन बार करवाने की तैयारी है। इसे बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ ओएमआर शीट पर लिया जाएगा। परीक्षा के बाद दो घण्टे में शिक्षक ओएमआर शीट की फोटो खींच कर ऐप पर अपलोड करेंगे और एआई की मदद से मिनटों के अंदर इसका रिजल्ट आ जाएगा। इसका रिजल्ट स्कूलवार, ब्लॉकवार से लेकर राज्यवार एक क्लिक पर सामने होगा। अभी तक सैट की ओएमआर शीट ब्लॉक स्तर पर शिक्षक ही जांचते हैं। इसे जांचने के बाद इसके नंबर शीट पर चढ़ा कर भेजते हैं और फिर रिजल्ट तैयार होता है। इसमें लगभग एक महने का स लग है। सैट में लर्निंग आउटकम के लिए निर्धारित प्रेरणा सूची पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं।
क्या है प्रेरणा सूची प्रदेश सरकार ने कक्षावार विद्यार्थियों के न्यूनतम लर्निंग आउटकम को तय कर दिया है यानी कक्षा एक या दो में पढ़ रहे बच्चों को हिन्दी, गणित या अंग्रेजी में न्यूनतम क्या-क्या आना ही चाहिए। इसके लिए कक्षावार प्रेरणा सूची जारी की गई है। सैट का आयोजन वार्षिक व छमाही परीक्षाओं के अलावा किया जाता है।
क्यों होता है सैट
राज्य सरकार ने लर्निंग के न्यूनतम लक्ष्य तय किए हैं कि कक्षा दो के बच्चों को प्रेरणा सूची में 5 में से न्यूनतम 3 संयुक्त शब्द आने चाहिए या दो अंकों का जोड़ आना चाहिए। इस न्यूनतम लक्ष्य को जांचने के लिए सैट होता है। सैट के रिजल्ट के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाती है।
ये होगा फायदा
इससे रिजल्ट तुरंत सामने आएगा और शिक्षक इस पर रैमीडियल टीचिंग तुरंत शुरू कर सकते हैं। विभाग ने स्कूलों, जिलों की ग्रेडिंग शुरू की है। इसमें ऊपर होने के चक्कर में शिक्षकों के जांचने में जानबूझ कर गलतियां की जा सकती हैं। यदि शिक्षक हैं तो इसमें हेरफेर कर सकते हैं।