गोरखपुर। प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को 13 तरह के गैर शैक्षणिक कार्य करने होते हैं। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है। इसी के मद्देनजर पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराना चाहिए। शिक्षक संघों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया था। यदि प्रदेश सरकार इस फैसले पर अमल करती है तो शिक्षकों को तीन ही कार्य करने के लिए ड्यूटी लगाई जा सकेगी।बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले दिनों अपने एक फैसले में कहा था कि उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम नहीं करना चाहिए। अभी तक शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा 13 तरह के अन्य कार्य लिए जाते हैं। शिक्षक संगठन बहुत दिनों से मांग कर रहे हैं कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाए, इससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित होती है। अब शिक्षक संगठनों को उम्मीद जगी है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश सरकार उस पर अमल करते हुए शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराएगी। यदि ऐसा होता है तो जिले के कुल 2415 प्राइमरी स्कूलों के नौ हजार से अधिक शिक्षकों और तीन लाख 69 हजार विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिलेगी।
शिक्षकों से लिए जाने वाले गैर शैक्षणिक कार्य
मतदाता सूची निर्माण व संशोधन प्रक्रिया, बाल गणना करना, मिशन प्रेरणा पोर्टल पर डाटा फीडिग करना, नवनिर्वाचित प्रधानों से समन्वय बनाकर कायाकल्प मिशन को गति देने काम, मिड-डे-मील के तहत खाते में फंड ट्रांसफर सुनिश्चित करना, मिड-डे मील के तहत राशन व खाद्य सामग्री एकत्र करना, भोजन बनवाना, राशन सार्वजनिक वितरण केंद्र पर अनाज वितरण करवाना, विद्यालय परिसर का दुरुस्तीकरण कराना, टाइम एंड मोशन स्टडी के अनुसार नए पंजीकरण कराने पर जोर, विद्यालय परिसर के विभिन्न अभिलेखों को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी, भवन निर्माण व देखरेख का काम, प्रसार-प्रसार के लिए बच्चों को लेकर विभिन्न रैलियों में शामिल करवाना।
शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्य में लगाए जाने से शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। हाईकोर्ट का यह आदेश स्वागत योग्य है। इसका सरकार को पालन कराना चाहिए। इसकी मांग संगठन ने सरकार से कई बार की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
– श्रीधर मिश्र, मंत्री, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ