वाराणसी: बेसिक शिक्षा परिषद की सूचनाओं के आदान-प्रदान निमित्त तकनीकी का प्रयोग विभाग के लिए परेशानी का सबब बन गया है। राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से जो पोर्टल विभागीय कार्यो में पारदर्शिता लाने के लिए लांच किया गया था उस पोर्टल पर ज्यादातर समय एरर बता रहा है। विभाग में पोर्टल पर गलत डाटा फीडिंग से कई बार गड़बड़ियां हो चुकी है।
कस्तूरबा विद्यालय में प्रधानाध्यापक ने बिना छात्रों की उपस्थिति के भोजन मेडिकल केयर और शिक्षण सामग्री के मध्य में 37 लाख रुपए का भुगतान दिखा दिया था। प्रदेश के 46 जिलों के परिषदीय विद्यालयों में निर्माण कार्य के नाम पर जारी करोड़ों रुपए का कोई हिसाब नहीं मिल पा रहा है। ₹100000000 सिर्फ वाराणसी में ही जारी हुए हैं। विश्वविद्यालयों में नेटवर्क नहीं आना एक बड़ी समस्या है ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात शिक्षकों को नेट की उपलब्धता नहीं होने से भी परेशानी होती है। पोर्टल ठीक से काम न करने के कारण आंकड़ों में गड़बड़ी होती है।
पोर्टल पर काम करने के लिए विभाग के संसाधन मुहैया नहीं कराया है। प्रधानाध्यापकों को टेबलेट देने की घोषणा हुई थी जो आज तक मूर्त रूप में नहीं ले सकी। शिक्षकों को वेतन देने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए विभाग ने मानव संपदा पोर्टल लांच किया था लेकिन पोर्टल ठीक से काम नहीं कर रहा है।
इससे शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिल पा रहा है आरटीआई पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ियों के चलते अभिभावकों को आवेदन में परेशानी होती है वहीं कर्मचारियों को बच्चों व विद्यालयों का डाटा भरने में दिक्कतें होती हैं। अभिभावकों के खाते में यूनिफार्म और जूते मोजे का पैसा भेजने के लिए विभाग ने प्रेरक पोर्टल पर बच्चों का व अभिभावकों का आंकड़ा मांगा था लेकिन काम पूरा नहीं हो सका।