लखनऊ: प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून के मसौदे को सरकार और विधानमंडल के दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई तो दो से अधिक बच्चों पर ना सरकारी नौकरी मिलेगी ना पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव लड़ सकेंगे। राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्य मित्तल ने सोमवार को जनसंख्या नियंत्रण कानून के अंतिम मसौदे को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दिया।
आयोग की ओर से जनसंख्या नियंत्रण कानून के मसौदे का ड्राफ्ट बीते महीने जारी किया गया था। आयोग ने जनता से ड्राफ्ट पर आपत्तियां और सुझाव मांगे थे। आयोगा का दावा है कि करीब साढ़े आठ हजार से अधिक लोगों ने ड्राफ्ट पर अपने सुझाव दिए हैं। आयोग का दावा है कि 99.5 प्रतिशत लोगों ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के पक्ष में मत किय दिया है।
आयोग ने दो बच्चों के परिवार की नीति का पालन करने वालों को प्रोत्साहित करने की संस्तुति की है। आयोग ने नीति का पालन नहीं करने वाले परिवारों को प्रदेश सरकार की योजनाओं, जिला पंचायत व स्थानीय निकाय के चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने की संस्तुति की है। दो से अधिक बच्चों वालों को प्रदेश सरकार की किसी भी सब्सिडी योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। आयोग के अध्यक्ष आदित्य मित्तल के मुताबिक परिवार को दो बच्चों तक सीमित रखने की नीति न तो अनुच्छेद 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता संरक्षण के विपरीत है ना ही अनुच्छेद 25- अंत:करण की और धर्ण के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता के विपरीत है। उनका कहना है कि दो बच्चों के परिवार की नीति राष्ट्रहित में है और राष्ट्र के सर्वोच्च विकास के लिए आवश्यक है।
दूसरी बार जुड़वां बच्चे होने पर नहीं होगा उल्लंघन
जनसंख्या नियंत्रण कानून के मसौदे में साफ किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के एक संतान है। दूसरी बार प्रसूति में जुड़वां बच्चे होने पर उसे कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
…तो तीसरी संतान पैदा कर सकेंगे
मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के दो बच्चे है, नौकरी लगने के बाद दोनों में से एक बच्चे या दोनों बच्चों की मृत्यु हो जाती है तो वह तीसरी संतान को जन्म दे सकते है।
सरकार को भी सुझाव
विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रदेश सरकार को भी सुझाव दिए हैं। आयोग ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसूति केंद्र खोलने, गर्भनिरोधक और कंडोम की व्यवस्था करने, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूकता पैदा करने की संस्तुति की है। उन्होंने गर्भावस्था, प्रसूति, जन्म और मृत्यु के पंजीकरण को पूरे प्रदेश में अनिवार्य करने की संस्तुति की है।
तीसरे बच्चे को गोद ले सकेंगे
मसौदे में साफ किया गया है कि यदि किसी बच्चे के दो बच्चे है और दोनों बच्चे किसी शारीरिक विकृति से ग्रस्त है तो वह व्यक्ति तीसरे बच्चे को गोद ले सकता है। इसे भी कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।