अंबेडकरनगर। जिले के 92 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का अंग्रेजी माध्यम का दर्जा जल्द ही समाप्त हो जाएगा। दरअसल राज्य सरकार ने परिषदीय स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसका असर जिले के 92 स्कूलों पर पड़ेगा। इसमें 72 प्राथमिक, जबकि 20 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं। ऐसा होने से संबंधित विद्यालयों में पढ़ रहे लगभग 20 हजार छात्र-छात्राओं का अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने का सपना चकनाचूर हो जाएगा। उन्हें फिर से पूर्व की तरह हिंदी माध्यम में ही पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ेगा।
परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं का अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने का सपना पूरा करने के लिए बीते वर्षों में निर्णय लिया गया था। तय हुआ कि परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भी अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करने का मौका दिया जाए। इसके लिए एक-एक कर 92 परिषदीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम से कर दिया गया। इसमें 72 प्राथमिक व 20 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल किए गए।
इन विद्यालयों में लगभग 20 हजार छात्र-छात्राएं अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा हासिल भी कर रहे हैं। पूर्व के वर्षों में जब इन परिषदीय विद्यालयों में भी कान्वेंट स्कूल की तरह अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराए जाने की घोषणा हुई थी, तो उस समय छात्र-छात्राओं के साथ-साथ उनके अभिभावकों में भी खुशी की लहर दौड़ गई थी। छात्र-छात्राओं का अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने का सपना पूरा होता दिखा, तो अभिभावकों ने भी खुशी जताई थी कि अब उनका बच्चा भी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कर सकेगा।
इस बीच अब प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि परिषदीय विद्यालयों में पूर्व की तरह ही मात्रभाषा हिंदी माध्यम से पढ़ाई की जाएगी। अर्थात अंग्रेजी माध्यम को समाप्त कर दिया जाएगा। इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है कि शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में अध्यापकों की कमी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की अधिकता है। अंग्रेजी माध्यम समाप्त करने के साथ ही अब ग्रामीण क्षेत्र के अध्यापकों को शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में समायोजित किया जा सकेगा।
अभिभावक बोले, निर्णय वापस ले सरकार
अकबरपुर निवासी अभिभावक आज्ञाराम व संजय ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम समाप्त करने का निर्णय छात्र-छात्राओं के हित में कतई सही नहीं है। प्रत्येक क्षेत्र में अंग्रेजी की जरूरत होती है। ऐसे में अंग्रेजी माध्यम समाप्त करने के निर्णय को वापस लेना चाहिए। इस निर्णय से छात्र-छात्राओं का अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने का सपना चकनाचूर हो गया है। जलालपुर के सुरेंद्र व मोहम्मद नईम ने कहा कि ऐसे अभिभावक, जो आर्थिक मुश्किलों के चलते महंगे अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे थे, वह ऐसे परिषदीय स्कूलों में अपने बच्चे का नाम लिखाकर अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का सपना पूरा कर रहे थे। इस निर्णय ने एक झटके में उनके सपने को तोड़ दिया है
अभी नहीं आया कोई पत्र
जिले में कुल 92 परिषदीय विद्यालय अंग्रेजी माध्यम से संचालित हैं। सरकार ने अंग्रेजी माध्यम को समाप्त करने का निर्णय लिया है, इसकी जानकारी समाचारपत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम से हुई है। अभी लिखित पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। बीते दिनों ही अंग्रेजी माध्यम की चार पुस्तकें शासन से जिले को उपलब्ध हुई थीं।
-भोलेंद्र प्रताप सिंह, बीएसए