प्रयागराज: पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के साथ ही यूपी बोर्ड की खास पहचान दिलाने वाली शख्सियत का भी अवसान हो गया। दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाली संस्थाओं में से एक यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में नकल अध्याधेश कल्याण सिंह की कार्यक्रम में ही लागू हुआ था।
उनकी सस्ती का ही नतीजा था कि तीन दशक पहले 1992 में 10वीं और 12वीं परीक्षा के लिए पंजीकृत 17% छात्रों ने परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी। उसकी परीक्षा में इतनी जबरदस्त लड़ाई हुई थी दसवीं के महज 14.70 प्रतिशत जबकि इंटर में 30.30 फीस दी परीक्षार्थी ही पास हो सके थे।
1992 में हाईस्कूल परीक्षा देने वाले छात्रों की स्थिति यह थी कि मोहल्ले में खोजने से 1या 2 पास छात्र मिलते थे। कई स्कूलों में एक भी छात्र दसवीं पास नहीं कर पाते थे। उस दौर में 10वीं और 12वीं पास करने वाले लोग गर्व से बताते हैं कि उन्होंने कल्याण सिंह के कार्यकाल में परीक्षा पास की थी। इस साल कोरोना के कारण जब बिना परीक्षा बोर्ड का बंपर परिणाम घोषित हुआ तो कल्याण सिंह की भी चर्चा होने लगी थी।