लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आता देख ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर सियासत और गर्माने के आसार हैं। विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार पर जल्द पहल करने का दबाव भी बनाने लगी हैं। वहीं राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग प्रदेश की 39 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए आयोग उत्तर प्रदेश सरकार को संस्तुति भेजेगा। प्रदेश में इस समय कुल 79 जातियां ओबीसी की सूची में शामिल हैं।
इनकी आबादी प्रदेश की कुल जनसंख्या का 54 प्रतिशत मानी जाती है। उप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन यशवंत सैनी ने बताया कि अब तक उनके पास कुल 70 जातियों के प्रतिविदेन आए थे जिनमें से 39 प्रतिवेदनों को मानकों के आधार पर विचार करने के लिए चयनित किया गया है। इनमें से 24 जातियों की आबादी व अन्य विषयों पर सर्वे करवाया जा चुका है। सर्वे में आए तथ्यों पर विश्लेषण किया जा रहा है।इसके अलावा 15 अन्य जातियों का अभी सर्वे करवाया जाना बाकी है। सर्वे पूरा होने के बाद इन जातियों को भी ओबीसी की सूची में अधिसूचित करने पर निर्णय लिया जाएगा। सामाजिक न्याय समिति ने 2019 में यूपी में ओबीसी जातियों की आबादी की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। यह रिपोर्ट हुकुम सिंह कमेटी पर आधारित बताई जा रही है।
ये जातियां ओबीसी में शामिल हो सकती हैं
भूर्तिया, अग्रहरि, दोसर वैश्य, जैसवार राजपूत, रूहेला, मुस्लिम शाह, मुस्लिम कायस्थ, हिन्दू कायस्थ, बर्नवाल, कमलापुरी वैश्य, कोर क्षत्रिय राजपूत, दोहर, अयोध्यावासी वैश्य, केसरवानी वैश्य, बागवान, ओमर बनिया, माहौर वैश्य, हिन्दू भाट, भट्ट, गोरिया, बोट, पंवरिया, उमरिया, नोवाना, मुस्लिम भाट।
इन जातियों के लिए सर्वे होगा
विश्नोई, खार राजपूत, पोरवाल, पुरूवार, कुन्देर खरादी, बिनौधिया वैश्य, सनमाननीय वैश्य, गुलहरे वैश्य, गधईया, राधेड़ी, पिठबज।