लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर (एसआइ) और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (एएसआइ) भर्ती में सैकड़ों अभ्यर्थियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ तगड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने एसआइ व एएसआइ के 609 पदों पर भर्ती मामले में तय किया है कि परीक्षा में वही अभ्यर्थी बैठने के योग्य थे जिनके पास डुएक/एनआईईएलआईटी का ‘ओ’ लेवल सर्टिफिकेट था। कोर्ट ने बीटेक, बीएससी (कंप्यूटर साइंस) और बीसीए करने वाले अभ्यर्थियों को भी मौका दिए जाने के एकल पीठ के आदेश को खारिज कर दिया है।
यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। बता दें कि 26 मार्च, 2021 को एकल पीठ ने अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर आदेश दिया था कि याचीगण ने जो कोर्स किए हैं, ‘ओ’ लेवल उन कोर्सेज का एक भाग है। लिहाजा याचियों के मामले में पुनर्विचार किया जाए। इस आदेश को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि 2016 के तत्कालीन नियम के मुताबिक डुएक/एनआईईएलआईटी से ‘ओ’ लेवल सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी ही उक्त परीक्षा में भाग लेने के योग्य थे।
जेल वार्डर भर्ती 18 में ओबीसी अभ्यर्थी का रिकार्ड तलब : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ओबीसी अभ्यर्थी को सामान्य वर्ग में शामिल कर चयन प्रक्रिया से बाहर करने के मामले में पुलिस भर्ती बोर्ड से जेल वार्डर भर्ती-2018 के ओबीसी अभ्यर्थी याची का रिकार्ड पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने आशुतोष मौर्य की याचिका पर दिया है। मामला जेल वार्डर व घुड़सवार पुलिस भर्ती-2018 के ओबीसी वर्ग की भर्ती का है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील यादव का तर्क था कि याची ने आवेदन अंतिम तिथि के पूर्व ओबीसी श्रेणी में जाति प्रमाणपत्र संलग्न कर भरा था। दस्तावेजों की जांच के समय आनलाइन आवेदन पत्र में संदर्भित जाति प्रमाणपत्र के साथ ही एक अन्य अपडेट प्रमाणपत्र भी संलग्न किया था। भर्ती बोर्ड ने उसके अपडेट जाति प्रमाणपत्र के आधार पर उसे सामान्य श्रेणी अभ्यर्थी मानते हुए ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दिया। याची का अंक ओबीसी वर्ग की कट ऑफ से ज्यादा था। फिर भी अभ्यर्थी को सफल चयन सूची में शामिल नहीं किया। इस मामले में अगली सुनवाई छह अक्तूबर को होगी।