प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के मामले में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि आरक्षित श्रेणी के ऐसे मेधावी अभ्यर्थी जो मेरी टीम पर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित किए गए हैं उनकी प्राथमिकता का जिला आवंटित किया जाए।
कोर्ट ने एकल न्याय पीठ द्वारा एमआरसी अभ्यर्थियों के संबंध में दिए गए निर्णय में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया और कहा है कि या महर्षि अभ्यर्थियों में 2 माह के भीतर आवेदन लेकर उनकी पसंद का जिला आवंटित किया जाए। इसी प्रकार में कोर्ट ने सामान्य वर्ग की ऊंची मेरिट की अभ्यर्थियों को भी उनकी पसंद की तीन प्राथमिकता वाले जिलों में से किसी एक जिले में यदि पद रिक्त है तो नियुक्ति देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने यह निर्णय याचिकाओं के बीच आपसी सहमति बनाने के आधार पर सुनाया है। तथा कहा है कि इस फैसले को नाजीर नहीं माना जाएगा। अमित शेखर भारद्वाज सहित सैकड़ों अभ्यर्थियों की दर्जनों विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने दिया। याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा, अशोक खरे, अभिनेत्री कुमार त्रिपाठी और सीमांत सिंह सहित कई अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा। अपील में एक पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी। अपील में मुख्य तौर पर तो आधा लिए गए।
पहला कीबोर्ड में रिक्तियों की संख्या 68000 से घटाकर 41556 कर दिया और दूसरा यह कि चयनित अभ्यर्थियों की दो चरणों में काउंसलिंग गई। पहले चरण में 35 चार सौ 20 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराई गई तथा दूसरे चरण में 6136 की काउंसलिंग कराई गई। कहा गया कि दूसरी काउंसलिंग की मेरिट में नीचे रहने वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए हैं।
एक ही प्रक्रिया में 2 मानक
अपील करता हूं कि अधिवक्ताओं का कहना था कि जब चयन प्रक्रिया एक ही है तो बोर्ड विज्ञापित पदों को घटा नहीं सकता है तथा चयन प्रक्रिया को दो भागों में बांटा नहीं जा सकता।
बोर्ड ने मनमाने तरीके से शासनादेश के विपरीत जिला वा रिक्तियों की संख्या घटा दी तथा एसि्परेशन वाले जिलों फतेहपुर चंदौली सोनभद्र सिद्धार्थनगर चित्रकूट बलरामपुर बहराइच श्रावस्ती में रिक्तियों की संख्या बढ़ा दिया गया।