गाजीपुर: सरकारी विद्यालयों में कबाड़ हो चुके अग्निशमन यंत्र अब तक मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं। यंत्र विद्यालयों के कोने में रख दिए गए हैं जिन पर न तो शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है और न ही अग्निशमन विभाग।
अग्निशमन विभाग द्वारा आग से सुरक्षा के लिए तरह-तरह के उपाय बताए जा रहे हैं परंतु अग्निशमन विभाग अपना ध्यान जिले के परिषदीय विद्यालयों में कबाड़ हो चुके अभी सामान यंत्रों क्यों नहीं दे रहा है
लगभग 8 वर्ष पहले तमिलनाडु प्रांत की एक विद्यालय में हुए अग्निकांड के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे देश के विद्यालयों में आग से सुरक्षा की पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। निर्देश के तहत विद्यालयों में अग्निशमन यंत्र खरीदने के साथ बाल्टी में बाली पानी आदि रखने को कहा गया था। परंतु अग्निशमन यंत्र कबाड़ हो चुके हैं। खास बात यह है कि इन यंत्रों के उपयोग का तरीका विद्यालयों में किसी को मालूम नहीं है। शिक्षकों की माने तो विभाग द्वारा इंयंत्र के संचालन के लिए वह आग से बचाव का किसी प्रकार का प्रशिक्षण ही नही दिया गया है।
कई विद्यालय ऐसे हैं जहां यंत्र लगी ही नहीं है ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आग पर काबू पाना क्या संभव है? देखा जाए तो विद्यालय में चलने वाली चूहे से एमडीएम बनाते समय आग लगने का खतरा बना रहता है। परंतु विभाग अग्निशमन यंत्र लगाने की खानापूर्ति के बाद खामोश हो गया है। कई स्कूलों में तो अभी संबंधित रहूंगा कोई घर में ना होकर अध्यापक कक्ष में रखा हुआ था। साथ ही कार्यालय में रोकने के लिए बाल्टी जमीन रखी थी उसमें पूरा और कबाड़ भरा हुआ है। वहीं शिक्षकों का कहना है कि अग्निशमन यंत्र चोरी होने का खतरा बना रहता है इसलिए रसोई घर में नहीं रखा जाता है।