इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायकों, अकाउंटेंट व डाटा एंट्री ऑपरेटर की तैनाती पर रोक लगा दी है। हालांकि, इनके चयन प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दे दी गई है। अदालत ने इस भर्ती से संबंधी शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज से राज्य सरकार का पक्ष पेश करने को कहा है। स्नेहलता समेत अन्य की याचिकाओं में प्रदेश की 58,189 ग्राम पंचायतों के लिए इस भर्ती संबंधी शासनादेश में कई विसंगतियां बताई गई हैं।
इनमें अभ्यर्थियों को उसी ग्राम का निवासी होने की अर्हता, कोरोना पीड़ितों के आश्रितों को वरीयता देने समेत आरक्षण संबंधी कई मुद्दे उठाए गए हैं। इन मुद्दों को न्यायमूर्ति एआर मसूदी की अदालत ने विचार योग्य करार दिया है। वहीं याचियों का कहना है कि गत 25 जुलाई को जारी इस शासनादेश के प्रावधानों में समानता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इससे अभ्यर्थियों के हित प्रभावित होंगे। वहीं कोर्ट ने सरकार व ग्राम पंचायतों को यह छूट दी है कि चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद वर्तमान में दिए गए आदेश के संशोधन की अर्जी चयन के ब्योरे के साथ दे सकती हैं। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 13 अक्तूबर को नियत की है।