वाराणसी: पुरुषों के नाम के आगे उनकी वैवाहिक स्थिति का उल्लेख नहीं होता तो फिर महिलाओं के नाम के आगे क्यों? यह सवाल अब से तीन साल पहले बीएचयू की एक महिला प्रोफेसर ने उठाया था। सवाल के निहितार्थ को गंभीरता से लेते हुए देर से ही सही मगर बीएचयू ने अनूठी शुरुआत कर दी है। बीएचयू देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है जहां अब महिला शिक्षकों के नाम के आगे उनकी वैवाहिक स्थिति का उल्लेख नहीं होगा।
अब बीएचयू में सभी महिला शिक्षकों के नाम के आगे सिर्फ डॉक्टर अथवा प्रोफेसर ही लिखा जाएगा। सुश्री अथवा श्रीमती का उल्लेख नहीं होगा। बीएचयू की ओर से महिला महाविद्यालय की शिक्षकों की जारी की गई सूची में इस परिवर्तन को शामिल किया गया है।
उल्लेखनीय है कि बीएचयू के महिला महाविद्यालय के समाजशास्त्र की प्रो. प्रमिला गोंड ने तीन वर्ष पूर्व पत्र लिख कर वैवाहिक स्थिति का विवरण हटाने का अनुरोध विश्वविद्यालय प्रशासन से किया था। तत्कालीन कुलपति को संबोधित पत्र में उन्होंने लिखा था कि महिला शिक्षकों के नाम के आगे उनकी वैवाहिक स्थिति का उल्लेख उचित नहीं प्रतीत होता। विश्वविद्यालय के शिक्षकों की पहचान पुरुष अथवा महिला के रूप में करने की बजाय एक शिक्षक के रूप में होनी चाहिए।