पीसीएस 2018 के तहत जीआईसी प्रधानाचार्य भर्ती का मामला एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडय ने आरोप लगाया कि आयोग की संदिग्ध कार्यप्रणाली की वजह से छात्रों को बार-बार न्यायालय की शरण में जाना पड़ रहा है।
औपबंधिक रूप से चयनित 33 अभ्यर्थियों को बाहर कर नई चयन सूची जारी करने का आदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 19 फरवरी 2021 को दिया था। आयोग ने इस फैसले को लागू करने की बजाय हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन जब आयोग को राहत नहीं मिली तब 23 जुलाई को प्रधानाचार्य पद का संशोधित परिणाम जारी कर दिया।
लेकिन इस संशोधित परिणाम में न तो किसी याची का नाम था और न संशोधित परिणामों की संख्या 33 थी। इसी मामले में राकेश चन्द्र पांडेय की ओर से दायर अवमानना याचिका हाईकोर्ट से खारिज हो गई थी। जिसे राकेश चन्द्र पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी किया है।