नई दिल्ली। रेलवे बीएसएनएल एयरपोर्ट इंडियन आयल ओएनजीसी एच ए एल जैसी कई सार्वजनिक इकाइयों का निजीकरण करने के बाद अब सरकार की निगाह देशभर के प्राथमिक स्कूलों पर गई है। सरकार इन्हें निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है
जिसकी भूमिका में देश के प्रधानमंत्री ने शिक्षक दिवस के मौके पर उद्योगपतियों से प्राथमिक स्कूलों की दशा सुधारने के लिए आगे आने का आह्वान किया है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही प्राथमिक स्कूलों का संचालन बड़े उद्योगपतियों को सौंप सकती है।
शिक्षकों के भारी-भरकम वेतन को राजकोषीय घाटा समझती है सरकार:
दरअसल सरकार शिक्षकों को मिल रहे भारी भरकम वेतन वाहन कर पाने में खुद को असमर्थ पा रही है ऐसे में सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का निजी करण करके सरकार अपना बोझ हल्का करना चाहती है।
गरीबों को लगेगा झटका
अगर सरकार के आह्वान पर सरकारी विद्यालय की संपत्तियों का निजी करण हो जाएगा तो यहां गरीब बच्चों का पढ़ना मुश्किल हो जाएगा। प्राइमरी और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में निजी विद्यालयों की तरह ही भारी-भरकम शुल्क वसूला जाएगा।
फिलहाल सरकार इस पर एक रूपरेखा तैयार कर रही है । माना जा रहा है कि सरकार प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा पर अपना खर्च 70 फ़ीसदी तक घटाना चाहती है। कॉपी/पेस्ट-fb से