कोरोना महामारी शुरू होने से पहले से ही एक निजी स्कूल द्वारा शिक्षक को वेतन नहीं दिए जाने पर उच्च न्यायालय ने कड़ा रूख अपनाया। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए स्कूल प्रबंधन को चार सप्ताह के भीतर शिक्षिका को फरवरी, 2020 से मार्च, 2021 तक वेतन व भत्ता देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने स्कूल से अप्रैल, 2020 से शिक्षक को 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत वेतन का बकाया भुगतान करने का आदेश दिया है।
जस्टिस वी. कामेश्वर राव ने रिचमोंड ग्लोबल स्कूल पश्चिम विहार की एक शिक्षिका की ओर से दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया है।
उन्होंने स्कूल प्रबंधन को फरवरी, 2020 से मार्च, 2021 तक के वेतन जारी करने के साथ ही, उस पर 7 फीसदी का ब्याज देने का भी आदेश दिया है। इसके अलावा न्यायालय ने स्कूल से 8 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता शिक्षिका रितू गोयल को 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत वेतन का बकाया भुगतान करने के साथ-साथ नियमों के तहत ग्रेच्युटी भी देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही न्यायालय शिक्षिका की याचिका का निपटारा कर दिया। शिक्षिका ने अधिवक्ता खगेश झा और शिखा बग्गा के माध्यम से याचिका दाखिल कर स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। याचिका में आरोप लगाया कि स्कूल ने उन्हें अक्तूबर, 2019 से ही वेतन नहीं दिया है। साथ ही कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी शिक्षक को वेतन नहीं दिया गया। अधिवक्ता खगेश ने कहा कि अंत में परेशान होकर उनके मुवक्किल ने इस साल मार्च में इस्तीफा दे दिया।
अन्य शिक्षकों को भी वेतन देने का आदेश
उच्च न्यायालय ने इस स्कूल के अन्य शिक्षकों को तत्काल वेतन देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही स्कूल के तीन अन्य शिक्षकों की याचिका पर न्यायालय ने दिल्ली सरकार व अन्य संबित पक्षों से जवाब मांगा है। अधिवक्ता खगेश झा के माध्यम से दाखिल याचिकाओं में शिक्षकों ने स्कूल पर पिछले कई माह से वेतन नहीं देने का आरोप लगाया है साथ, स्कूल पर उनके मूल शैक्षणिक दस्तावेज अपने पास रखने का आरोप लगाया। याचिका में शिक्षकों ने कहा है कि उन्हें अभी छंठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बराबर भी स्कूल वेतन नहीं दे रहा है, लेकिन सरकार को भेजे लेखाजोखा में दिखाया है कि शिक्षकों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन व भत्तों का भुगतान किया जा रहा है।