लखनऊ। कोरोना संक्रमण के चलते लंबे अर्से बाद खुले बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में पठन-पाठन के दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। परिषद के विद्यालयों में किसी भी प्रकार के टेस्ट और लिखित व मौखिक परीक्षा पर रोक लगा दी गई है।
विभाग का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर के भयावह रूप को देखने और अनुभव करने के बाद बच्चे स्कूल आ रहे हैं। ऐसे में स्कूल आते ही उन पर पढ़ाई का बोझ डालने की जगह सहज वातावरण दिया जाना चाहिए इसलिए शिक्षकों को बच्चों के साथ खेल गतिविधियां कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही पहले और दूसरे सप्ताह में बच्चों को रोजाना एक शिक्षाप्रद कहानी सुनाई जाएगी। कोरोना के कारण लर्निंग गैप को दूर करने के लिए शिक्षकों व बच्चों के साथ गतिविधियां आयोजित कर बच्चों के वर्तमान शैक्षिक स्तर को समझा जाएगा।
विभाग की सचिव अनामिका सिंह ने अग्रिम आदेश तक किसी भी स्थिति में बच्चों का किसी प्रकार का टेस्ट, लिखित या मौखिक परीक्षा नहीं कराने के निर्देश दिए हैं।
5वीं तक दो घंटे पढ़ाई, फिर खेलकूद
■ कक्षा 1 से 5 में प्रतिदिन एक एक घंटे गणित व हिंदी की पढ़ाई कराई जाएगी। बाकी समय में बच्चों के साथ खेलकूद की गतिविधियों के साथ उन्हें पुस्तकालय की पुस्तकें पढ़ने का अवसर दिया जाएगा।
वहीं, कक्षा 6 से 8 तक में हिंदी और गणित विषय के अध्ययन पर अधिक जोर दिया जाएगा। साथ ही विज्ञान व अंग्रेजी विषय पर भी ध्यान दिया जाएगा।
बच्चे अधिक तो दो पालियों में चलेंगे स्कूल
विद्यालयों को पूर्व निर्धारित समय सारिणी के अनुसार ही संचालित किया जाएगा। जिन विद्यालयों में बच्चे अधिक संख्या में उपस्थित हो रहे हैं, वहां तीन-तीन घंटे की दो पालियों में संचालन होगा। जिन विद्यालयों में बच्चों के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध है, वहां एक ही पाली में सुबह 8 से दोपहर 3 बजे तक स्कूल का संचालन किया जाएगा।
ई-पाठशाला भी चलेगी
यूपी दूरदर्शन पर रोजाना सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक ई-पाठशाला चलेगी। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग प्रत्येक रविवार शिक्षकों के व्हॉट्सएप ग्रुप पर कक्षावार एवं विषयवार शैक्षणिक सामग्री भेजेगा। शिक्षक इसे अभिभावकों के व्हॉट्सएप ग्रुप पर साझा करेंगे और उन्हें ई पाठशाला में शामिल होने को कहेंगे। यही नहीं, राज्यस्तर से प्रत्येक शनिवार को व्हॉट्सएप के माध्यम से साप्ताहिक क्विज प्रतियोगिता की सामग्री भी साझा की जाएगी।
घर-घर काउंसिलिंग करेंगे शिक्षक
जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं, शिक्षक उनके घर जाकर अभिभावकों से संपर्क करेंगे। उनकी काउंसलिंग कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार करेंगे।