एसटीएफ ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती कराने वाले गिरोह के सरगना और उसके दो साथियों को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। इनमें दो फर्जी प्राइमरी शिक्षक भी शामिल है। गिरोह ने 100 से अधिक शिक्षकों की भर्तियां कराई हैं। इसमें कुछ मामले पकड़ में जाये तो प्रयागराज स्थित परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों से साठगांठ कर बचाने का भी प्रयास किया। एसटीएफ का दावा है कि इस फर्जीवाड़े में यह गिरोह करोड़ों कमा चुका है। गिरोह ने कई परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के लिये साल्वर भी मुहैया कराए हैं। इस फर्जीवाड़े में सरगना से प्रतियोगी परीक्षाओं का रिजल्ट तैयार करने वाली कम्पनी के कर्मचारियों की भी साठगांठ सामने आयी है।
एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि गिरोह के सरगना शिकोहाबाद निवासी राम निवास के साथ देवरिया के बनकटा स्थित प्राथमिक विद्यालय में फर्जी दस्तावेजों से शिक्षक बना रविन्द्र कुमार उर्फ रवि और गाजियाबाद निवासी संजय सिंह पकड़े गए हैं। संजय दिल्ली स्थित डाटा सॉफ्ट कम्प्यूटर सर्विसेज प्रा. लि. में प्रोडक्शन मैनेजर हैं। रविन्द्र कुमार मूल रूप से आगरा का है। इनसे आठ मोबाइल, सात पेन ड्राइव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के सत्यापन फार्म, टीजीटी परीक्षा से जुड़े 26 अभ्यर्थियों की सूची, मगध यूनिवर्सिटी के कई प्रमाण पत्र, छत्तीसगढ़ स्टेट ओपन स्कूल की रोल नम्बर लिस्ट और ढाई लाख रुपये बरामद हुए हैं। इनके बैंक में जमा 19 लाख रुपये भी सीज करा दिये गये हैं।
दो फर्जी शिक्षक ही नियुक्ति का ठेका ले रहे
एसटीएफ के डिप्टी एसपी प्रमेश शुक्ला के मुताबिक सरगना राम निवास ने फर्जी दस्तावेजों से प्राइमरी शिक्षक की नौकरी करने वालों के नामों का खुलासा भी किया। इन लोगों ने बताया कि देवरिया में विनय तिवारी, कुशीनगर में मनीष यादव फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। राम निवास ने यह भी खुलासा किया कि विनय और मनीष ही अभ्यर्थियों को फर्जी दस्तावेजों से नौकरी दिलाने का ठेका लेते हैं।
देवरिया में 90 लाख लेकर 15 शिक्षक लगवाए
एसटीएफ ने बताया कि वर्ष 2016 में 15 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिये रामनिवास ने इन दोनों को 15 अभ्यर्थियों की सूची दी थी। इसके लिये छह लाख रुपये प्रति अभ्यर्थी के हिसाब से दोनों को 90 लाख रुपये दिये गये थे। इन सभी 15 लोगों को देवरिया में नियुक्ति भी दिला दी गई। कुछ समय बाद दस्तावेज फर्जी होने का खुलासा होने पर इन सभी को नौकरी से हटा दिया गया। इसके बाद ये सभी अभ्यर्थी रामनिवास पर अपने रुपये लौटाने का दबाव बनाने लगे।
दोबारा फर्जीवाड़ा कर नियुक्ति कराई
ज्यादा दबाव पड़ने पर इस गिरोह ने अभ्यर्थियों से कुछ मौका देने को कहा। इसके बाद वर्ष 2017 में 68 हजार 500 और वर्ष 2018 में 69 हजार प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हुई। इन दोनों भर्तियों में प्राइमरी शिक्षकों की चयन प्रक्रिया से जुड़े सारे दस्तावेज वेबसाइट पर उपलब्ध थे। इसे कोई भी देख सकता था। इसका फायदा उठाते हुए राम निवास ने उन अभ्यर्थियों का ब्योरा तैयार कराया जो वर्ष 2017 व वर्ष 2018 दोनों में चयनित हुए। इन लोगों ने एक चयन प्रक्रिया में नियुक्ति ले ली तो दूसरी भर्ती प्रक्रिया में पद रिक्त हो गया। यहीं पर इन लोगों ने खेल किया। रिक्त पद से सम्बन्धित नाम, अंक पत्र व अन्य दस्तावेज नेट से डाउनलोड कर प्रिन्ट करा लिये। फिर इस नाम का ही फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी बनवा ली। इसके लिये अपने साथी प्राइमरी शिक्षक नीरज व शिकोहाबाद में शिवम फोटो स्टूडियो के संचालक छोटू की मदद से कलर प्रिन्ट कराये। फिर सारे दस्तावेजों पर अपने अभ्यर्थियों की फोटो लगवा दी। इसके बाद इनकी नियुक्ति करा दी।
एसटीएफ का दावा
- देवरिया, कुशीनगर के दो प्राथमिक शिक्षक भर्ती कराने का ले रहे थे ठेका ।
- विभूतिखंड में आरोपियों से ढाई लाख मिले, बैंक में जमा 19 लाख सीज कराए।
- 100 से अधिक भर्तियां गिरोह ने कराई।
- परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों से साठगांठ।