नीट में धांधली करने वाले सॉल्वर गैंग में फोटोशॉप से एडमिट कार्ड की तस्वीर एडिट करने वाला राजू कुमार ने खुलासा किया कि वह साल 2019 से ही नीट व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फोटो मिक्सिंग के जरिए मदद करता था। वह उसी साल दूसरे साल्वर गैंग के सरगना विकास महतो से जुड़ा। फोटो मिक्सिंग के लिए वह विकास से प्रति फोटो दो हजार रुपये लेता था।
पुलिस को राजू ने बताया कि उसके छोटे भाई के नाम से दीपक स्टूडियो है। विकास महतो दो वर्ष पहले परीक्षाओं के लिए पासपोर्ट साइज फोटो बनवाने आता था। बाद में उसने अन्य लड़के-लड़कियों की फोटो को मिक्स करके पासपोर्ट साइज फोटो बनाने को कहा। इसके लिए उसने रुपये का लालच दिया। नीट परीक्षा के समय व अन्य परीक्षाओं के दौरान विकास ने अनेक लड़के-लड़कियों की फोटो व्हाट्सएप से भेजी थी, जिसकी मिक्सिंग हुई थी। कुछ फोटो उसके फोन की गैलरी व लैपटॉप में पड़ी है। पुलिस सबकी जांच कर रही है।
मास्टरमाइंड अपने पिता के खाते में मंगाता था रुपये
सॉल्वर गिरोह का मास्टर माइंड प्रेम कुमार उर्फ पीके उर्फ नीलेश कुमार एक अभ्यर्थी से 20 लाख रुपये कमाता रहा है। प्रश्नपत्र सॉल्व कराने के नाम पर वह एक अभ्यर्थी से 25 लाख रुपये लेता है। उसमें पांच लाख सॉल्वर को मिलता था। खास यह कि पीके रुपयों का लेनदेन अपने खाते में नहीं करता था बल्कि अपने पिता केबीएन सिंह और अन्य साथियों के एकाउंट के जरिए लेनदेन करता था।
यह खुलासा पुलिस की गिरफ्त में आए विकास कुमार महतो ने किया है। विकास ने पुलिस को बताया कि पीके के साथ कई लोग गैंग में शामिल हैं जो नीट में एडमिशन के लिए छात्र उपलब्ध कराते रहे हैं। इनमें उसके अलावा लखनऊ के ओसामा शाहिद, बिहार के अंशु सिंह और बबलू शामिल हैं। अंशु और बबलू बेंगलुरु में रहते हैं। त्रिपुरा का देबू भी इस गैंग में शामिल है। ये सभी छात्रों का डॉक्यूमेंट, फोटो तथा रुपये लेकर पीके को भेज देते थे। पीके उर्फ नीलेश और विकास अपने साथियों-पुष्पक कुमार, प्रमोद, अनूप व प्रवीन के माध्यम से सॉल्वरों की व्यवस्था करते थे। उनके फोटो लेकर असली अभ्यर्थी की फोटो से मिक्स करवा कर नीट का फॉर्म भरवाते थे।
गारंटी के तौर पर रखता था असल शैक्षणिक कागजात:
परीक्षा के पहले पीके सभी अभ्यर्थियों के ओरिजिनल डॉक्युमेंट अपने पास मंगा कर गारंटी के लिए रख लेता था। पूछताछ में विकास ने बताया कि वह तीन साल पहले खगड़िया से पटना आया था। परीक्षा की तैयारी के दौरान उसका परिचय पीके उर्फ प्रेम कुमार उर्फ नीलेश से हुआ। उसने मुझे परीक्षाओं में साल्वर बैठाकर परीक्षा पास कराने की तरकीब बताकर रुपये कमाने की योजना बताई। यह भी कहा कि मौका मिलने पर किसी परीक्षा में सॉल्वर बैठाकर तुम्हारी नौकरी भी लगवा दूंगा। इसके बाद वह पीके के लिए काम करने लगा। उसने पुलिस के सामने कई राज खोले हैं। बताया कि गिरोह के सदस्य नीट में बैठने वाले लड़के लड़कियों की तलाश करते थे, जोकि फर्जी तरीके से परीक्षा में शामिल होते हैं। इसके बाद उनसे 20 से 25 लाख रुपये ऐंठे जाते हैं। विकास कुमार ने बताया कि पीके का असली नाम नीलेश कुमार पुत्र कमल वंश नारायण सिंह है। जो छपरा के एकमा थाने के सेंधवा का मूल निवासी है और वर्तमान में पटना के पाटलीपुत्र में बीएसएनल टेलीफोन एक्सचेंज के सामने परिवार के साथ रहता था। गिरफ्तार दोनों अभियुक्तों के कब्जे से नीट से संबंधित अभ्यर्थियों के शैक्षिक दस्तावेज, फोटोग्राफ, आधार कार्ड एवं एडमिट कार्ड के अलावा दो अदद मोबाइल फोन न व एक लैपटॉप बरामद हुआ है।
ये है पूरा मामला
मेडिकल और डेंटल कॉलेज में प्रवेश के लिए 12 सितंबर को नीट यूजी परीक्षा हुई था। सारनाथ के टड़िया सोना तालाब स्थित सेंट फ्रांसिस जेवियर स्कूल सेंटर था। यहां पर बीएचयू के बीडीएस सेकेंड ईयर की छात्रा जूली कुमारी को त्रिपुरा की हिना के जगह पर परीक्षा देते पकड़ा गया था। क्राइम ब्रांच की टीम ने जूली की मां को गिरफ्तार किया था। इनसे पूछताछ के बाद पुलिस को मऊ के ओसामा के बारे में सुराग लगा। ओसामा की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि पटना का पीके साल्वर गैंग संचालित करता था। इसके बाद पुलिस परत दर परत खोलने में जुट गई है।