लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद के एक हजार सहायता प्राप्त उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संदिग्ध शिक्षकों को दस्तावेजों की जांच के बाद ही वेतन मिलेगा। शिक्षक संगठनों की ओर से वेतन भुगतान का दबाव बनाए जाने पर बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों से रिपोर्ट तलब की है। इसमें पूछा गया है कि संबंधित शिक्षकों का वेतन किन-किन कारणों से रोका गया है। शासन की ओर से गठित समिति सहायक निदेशकों की रिपोर्ट के बाद वेतन भुगतान का निर्णय करेगी। शिक्षकों की नियुक्ति सही मिलने पर ही वेतन भुगतान किया जाएगा।
बेसिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2006 में एक हजार विद्यालयों को आर्थिक सहायता (ग्रांट) देना शुरू किया था। विद्यालय सहायता प्राप्त घोषित होने के बाद इन स्कूलों के शिक्षकों के वेतन, भत्तों का भुगतान भी सरकार के स्तर से शुरू किया गया। पर, बाद में शिक्षकों की जांच में सामने आया कि करीब चार सौ से अधिक शिक्षक फर्जी हैं। शिक्षकों की नियुक्ति निर्धारित प्रक्रिया और मापदंड के अनुसार नहीं की गई है। ऐसे में सरकार ने पात्रता पूरी नहीं करने वाले करीब चार सौ शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी।