इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निवास प्रमाणपत्र देर से देने पर नियुक्ति से इनकार करने के आदेश के विरुद्ध याचिका स्वीकार करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर को दो माह में चयनित याची को नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि याची कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से वेतन पाने की हकदार है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने नीतू की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब पहले ही निवास के आधार पर नौकरी देने से इनकार करने को असंवैधानिक करार दिया जा चुका है तो कट ऑफ डेट के बाद निवास प्रमाणपत्र जमा करने के आधार पर नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया कि चयन के बाद नियुक्त न करने से वेतन दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि काम नहीं तो वेतन नहीं के सिद्धांत पर याची वास्तविक कार्यभार ग्रहण करने से वेतन पाने की हकदार है।
याची का सहायक अध्यापक भर्ती 2019 में चयन हुआ। नियम था कि अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो या पांच साल से लगातार प्रदेश में निवास कर रहा हो। चयन के बाद सत्यापन के समय निवास प्रमाणपत्र दिखाना था। याची हरियाणा की मूल निवासी है। उसकी शादी 2012 में गाजियाबाद में हुई है। उसके बाद याची चयनित हुई और उसे अमेठी जिला आवंटित किया गया।
याची ने निवास प्रमाणपत्र कट ऑफ डेट (28 मई 2020) के बाद का दिया। जिससे नियुक्ति करने से इनकार कर दिया गया। याचिका में इसे चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि जब हाईकोर्ट ने सुमित व विपिन कुमार मौर्य के केस में निवास के आधार पर किसी नागरिक को नौकरी देने से इनकार करने को असंवैधानिक करार दिया है तो उसे निवास के आधार पर नियुक्ति देने से इनकार करना भी असंवैधानिक है। कोर्ट ने इस तर्क से सहमत होते हुए याचिका स्वीकार कर ली और नियुक्ति करने का निर्देश दिया है।