सिद्धार्थ नगर: फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी करने के आरोप में पकड़े गए शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद भी उन पर विभाग की मेहरबानी बनी है। पुलिस की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। इसके बाद भी विभाग की ओर से अब तक भुगतान हुए वेतन की रिकवरी के लिए कोई पहल नहीं की गई है। इसे विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।
वर्ष 2017-18 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद जांच शुरू हुई तो जिले में फर्जीवाड़ा करके बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के कई मामले पकड़ में आए। मामला बड़ा होने के कारण एसटीएफ को जांच दी गई। मामले की जांच में जुटी एसटीएफ की टीम ने बड़ी कार्रवाई की। जिले में 103 फर्जी शिक्षा कैसे पकड़े गए जो फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी करते हुए पाए गए। उन्हें बर्खास्त करने के साथ ही धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 70 मामलों में पुलिस की कार्रवाई पूरी कर के न्यायालय में चार्जशीट भी भेज चुकी है। 33 मामलों में पुलिस की कार्रवाई चल रही है बर्खास्तगी के बाद फर्जीवाड़ा करने वाले मामले में धान की रिकवरी की जाती है। पहली बार विभाग की ओर से नोटिस जारी होता है। उसके बाद भी अगर धन को राजकीय कोष में जमा नहीं होता है तो फिर दूसरे में माध्यम से वसूली होती है। मगर इन मामलों में अब तक विभाग ने नोटिस जारी करने की प्रक्रिया ही नहीं शुरू की है बीएसए राजेंद्र सिंह ने बताया मामले में कार्रवाई चल रही है।
सभी को नोटिस जारी किया जाएगा। एसएसपी सुरेंद्र चंद्रावत ने बताया कि फर्जीवाड़ा के आरोप की तो से धन की रिकवरी के संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग की जिम्मेदारों से नोटिस जारी कराने के लिए वार्ता की गई है। अगर नोटिस जारी होने के बाद भी थान जमा नहीं किया जाता है तो सरकारी धन के गबन के मामले में भी मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।