बरेली: प्राइवेट स्कूलों की महंगी पढ़ाई और आधुनिक सुविधाओं के बीच अगर बेसिक शिक्षा परिषद के किसी स्कूल में एडमिशन के लिए पेरेंट्स को सांसद, विधायक, प्रशासनिक अफसरों तक का जुगाड़ लगाना पड़े तो यही समझा जाएगा कि देश वाकई बदल रहा है. ये बदलाव बरेली में बेसिक शिक्षा परिषद के एक स्कूल की वजह से है, जो अपनी खूबियों की वजह से प्रदेश में भी विशेष होने का गौरव हासिल कर रहा है.
कोरोना की पाबंदियां हटने के बाद जब यह विशेष स्कूल खुला तो यहां एडमिशन की होड़ लग गई. यहां एडमिशन के लिए परेंट्स सांसद, विधायक, मेयर से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक के यहां से सिफारिशी पत्र लेकर पहुंचे हैं. इसके चलते यह स्कूल प्रदेश ही नहीं शायद देशभर के परिषदीय स्कूलों में सबसे अधिक छात्र संख्या वाला स्कूल बन गया है. यहां नए सत्र में छात्रों की संख्या 1700 का आंकड़ा छूने वाली है.
22 एसी लगे हैं स्कूल में बरेली के कंपोजिट विद्यालय जसोली
को विशेष बनाया है शहर के ही एक उद्योगपति मारिया ग्रुप के चेयरमैन शकील ने. उन्होंने दो साल पहले इस स्कूल को अपने स्तर से ही हॉलैंड के सरकारी स्कूलों की तर्ज पर संवारने का संकल्प लिया था, इस स्कूल का पूरा परिसर ही टाइल्स से सज चुका है. हर क्लास की दीवारों और फर्श पर अलग-अलग रंग और डिजाइन के टाइल्स लगाए गए हैं. इस स्कूल में 22 एसी लगाए गए हैं.
चाहिए 51 टीचर्स
यहां अभी कुल छात्र संख्या 1660 है और इनके लिए टीचिंग स्टाफ है मात्र आठ. इनमें भी दो अनुदेशक है. स्कूल, के हेड टीचर हरीश बाबू शर्मा ने बताया कि आरटीई के तहत मानक निर्धारित किए गए हैं. इस मानक के अनुसार प्राथमिक स्तर पर 30 स्टूडेंट्स पर एक टीचर तो उच्च प्राथमिक स्तर पर 35 बच्चों पर एक टीचर होना अनिवार्य है. ऐसे में यहां 51 टीचर होने चाहिए.
दो पाली में चल रहा स्कूल
छात्र संख्या अधिक होने से इस स्कूल को दो पालियों में चलाना पड़ रहा है. स्कूल के हेड टीचर हरीश बाबू शर्मा ने बताया कि उनके पास 16 क्लास रूम्स है. इनमें अधिकतम 800 बच्चों तक को ही बिठाया जा सकता है. इसके चलते ही स्कूल को दो पलियों में चलाना पड़ रहा है.
लौटाए जा रहे हैं पेरेंट्स
स्कूल में एडमिशन के लिए परेंट्स में भारी उत्साह है. यहां अभी भी रोज 20 से अधिक परेंट्स बच्चों के एडमिशन के लिए पहुंचते है. स्कूल में पहले ही बच्चों की संख्या अधिक होने से हेड टीचर को इन पेरेंट्स से हाथ जोड़ने पड़ते हैं. वह हाथ जोड़कर इन परेंट्स से एडमिशन के लिए मना करते हैं.