लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी बोर्ड में अंक सुधारने की परीक्षा को रोकने के आग्रह वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को मेरिट विहीन करार देकर खारिज कर दिया। इसमें कोरोना की वजह से हुई प्री बोर्ड परीक्षा नीति के तहत असंतुष्ट और अंक सुधार परीक्षा देने के इच्छुक विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने का मौका देने संबंधी शासनादेशों को चुनौती दी गई थी। यह परीक्षा 18 सितंबर से 6 अक्तूबर तक होनी है। कोर्ट के आदेश के बाद इस परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है। न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने यह फैसला रितिक शुक्ल की याचिका पर दिया। याची का कहना था कि इस परीक्षा को कराया जाना उन विद्यार्थियों के साथ विभेदकारी होगा, जो प्री बोर्ड परीक्षा नीति के तहत उत्तीर्ण हैं।
उधर, याचिका का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी की दलील थी कि याचिका किसी विद्यार्थी ने नहीं दायर की है। याची कांग्रेस पार्टी का संगठन एनएसयूआई में ललितपुर का जिलाध्यक्ष है। ऐसे में यह याचिका छात्रहित के बजाय राजनीति से प्रेरित है। साथ ही किसी विद्यार्थी ने बीते 20 जून की परीक्षा नीति को चुनौती नहीं दिया है।