प्रयागराज: यूपी बोर्ड के इंटर के हजारों छात्रों का कॅरियर दांव पर है। कोरोना काल में बिना परीक्षा कराए 10वीं-12वीं का परिणाम 31 जुलाई को घोषित हुआ था। 12वीं के 30 से 40 हजार छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जिनका परिणाम विभिन्न कारणों से रोक दिया गया। ये विदहेल्ड श्रेणी में थे।
इनमें अधिकांश वे छात्र थे, जिनका पूर्व की कक्षाओं में से किसी का अंक बोर्ड को नहीं मिला था। सीबीएसई या सीआईएससीई बोर्ड से 10वीं कर यूपी बोर्ड में नाम लिखाने वाले तमाम छात्र भी यह परेशानी झेल रहे हैं।
इंटरनेट पर इन बच्चों को रिजल्ट रुका होने की जानकारी मिली तो स्कूल से संपर्क किया। स्कूल के प्रधानाचार्यों ने बोर्ड की गलती ठहराते हुए वहां शिकायत करने को कहा। इन छात्रों ने क्षेत्रीय कार्यालयों के ग्रीवांस सेल में शिकायत की।
लेकिन दो महीना बीतने के बावजूद रिजल्ट नहीं मिल सका है। इस कारण ये बच्चे स्नातक या दूसरे पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे। जमुना क्रिश्चियन इंटर कॉलेज के छात्र अनंत कुमार, मोहित द्विवेदी और विवेक प्रजापति आदि को ही लें। दो महीने से बोर्ड का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन रिजल्ट नहीं मिल सका। मोहित द्विवेदी कहते है कि ईसीसी में प्रवेश के आवेदन की तिथि बीत गई। लेकिन फॉर्म नहीं भर सके। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फॉर्म भरने की आखिरी तारीख 3 अक्तूबर है। लेकिन अंकपत्र न मिलने पर वहां भी आवेदन से वंचित होंगे। यही स्थिति पूरे प्रदेश में बनी है। बच्चे स्कूल, डीआईओएस और यूपी बोर्ड के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।
बिना अंक प्रमोट बच्चे भी होंगे परेशान
बोर्ड ने 12वीं के 62506 बच्चों को बिना अंक दिए प्रमोट किया था। अंकपत्र पर नंबर नहीं होने से ये भी परेशान थे। 12वीं के 41355 बच्चों ने अंकसुधार परीक्षा के लिए आवेदन कर दिया जिसका परिणाम अक्तूबर अंत तक घोषित हो सकेगा। ऐसे में इनके लिए भी अगली कक्षाओं में प्रवेश में परेशानी होगी।