रामपुर। जिले में 580 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन नहीं है। यहां तक कि भवन के लिए अधिकांश केंद्रों के पास तो जमीन भी नहीं है। ऐसे में शहरी क्षेत्रों के 97 फीसदी से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। लिहाजा, आंगनबाड़ी केंद्रों के प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में संचालन करने की सरकार की नीति कागजी नजर आ रही है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का दावा है कि आगामी समय में हर आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन होगा।
जिले में 2700 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें 2103 आंगनबाड़ी केंद्र ग्रामीण इलाकों में संचालित हैं, जबकि 597 आंगनबाड़ी केंद्र शहरी इलाकों में संचालित हैं। जिले के ग्रामीण इलाकों के आंगनबाड़ी केंद्रों की बात की जाए तो अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र अपने या प्राइमरी स्कूल के भवन में संचालित हो रहे हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों के 97 फीसदी आंगनबाड़ी केंद्र तो ऐसे हैं, जिनके अपने भवन तक नहीं हैं। विभागीय अफसरों की मानें तो 580 आंगनबाड़ी केंद्रों के अपने भवन नहीं हैं
ये आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में ही संचालित हो रहे हैं। ऐसे हालात में सरकार की ओर से नई शिक्षा नीति के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों को निजी प्री प्राइमरी स्कूलों की तर्ज पर संचालित करने के लिए तैयारी की जा रही है। लिहाजा, यह साफ है कि जब आंगनबाड़ी केंद्रों के पास भवन ही नहीं हैं, तो प्री प्राइमरी स्कूल किस तरीके से संचालित होंगे।
कर्मचारी बताते हैं कि किराए के भवनों आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में सबसे बड़ी दिक्कत यह आती है कि भवन स्वामी कभी भी अपना भवन खाली करने के लिए कह देता है। क्योंकि, उसका कोई एग्रीमेंट तो होता ही नहीं है। इसी वजह से कई कई माह तक कई केंद्र बिना भवन के ही संचालित होते रहते हैं। हालांकि, विभागीय अफसरों का कहना है कि विभिन्न योजनाओं के तहत कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन बन रहे हैं, जबकि आगामी कुछ दिनों में निर्माणाधीन भवन बनकर तैयार हो जाएंगे।
-शहरी क्षेत्र में 580 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्रों के भवनों के निर्माण के लिए कई योजनाओं के तहत काम चल रहा है। जल्द ही सभी आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन होगा।
-राजेश कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी, रामपुर