लखनऊ: राजधानी के शहरी क्षेत्र में लगभग सभी आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं। कहीं छोटा कमरा तो कहीं बरामदा या कहीं कोई और काम चलाऊ जगह है।
कहने को तो विभाग ने छह हजार रुपये तक किराया खर्च करने की व्यवस्था की है, लेकिन मानकों के अनुसार भवन के लिए कहीं जगह नहीं मिल पा रही। स्थिति यह है कि अधिकांश भवन सही लोकेशन में नहीं है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अनुसार, पॉश अलीगंज के कपूरथला में तो तय किराए की राशि पर कमरा ही नहीं मिल रहा है। ऐसे में बरामदे को किराए पर लेकर केंद्र चलाया जा रहा है। अन्य स्थानों में भी इसी तरह काम चलाया जा रहा है। मंदिर के प्रांगण में तक में केंद्र चल रहे हैं।
ये हैं प्रमुख नियम
- लगभग 600 वर्गफीट में भवन हो।
- भवन किराए पर लेने के लिए पहले विज्ञापन निकलेगा।
- रजिस्ट्री के कागज जमा होंगे।
- करीब 3 साल के लिए अनुबंध होगा।
- जिला कमेटी नियमानुसार आवंटन करेगी।
- अनुबंध बढ़ भी सकता है।
समय से भुगतान नहीं, पद भी खाली
किराए का भुगतान भी कई बार समय से नहीं होता है। आंगनबाड़ी कर्मचारी व सहायिका एसोसिएशन के संगठन के अनुसार, अधिकांश जगह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने पास से किराया भरती हैं। इसके अलावा स्वीकृत पदों में कई पद पूरे जिले में खाली हैं।
नियमानुसार किराए पर भवन लेने की प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश की जाती है। आवेदन न आने पर जो भवन लिए गए हैं, उनका किराया भौतिक स्थिति देखकर सक्षम अधिकारी की संस्तुति से किया जा रहा है। बाकी पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है। - अखिलेंद्र दुबे, डीपीओ