प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शैक्षिक सेवा समूह-ख उच्चतर के पदों पर निर्धारित पदोन्नति कोटा संशोधित किए जाने की शासन की कोशिशों के बीच सभी पक्ष वार्ता की मेज पर आए। इसमें शासन के अफसरों के साथ खंड शिक्षाधिकारी, महिला शिक्षक शाखा राजकीय एवं राजकीय शिक्षक संघ के पदाधिकारी भी शामिल हुए। सभी ने अपना जो पक्ष रखा, उसमें सहमति के सुर नहीं हैैं। अब इस पर शासन को अंतिम निर्णय लेना है। निर्णय एकतरफा होने पर मामला अदालत तक भी पहुंच सकता है।
बीईओ, महिला शिक्षक शाखा संघ व राजकीय शिक्षक संघ पदाधिकारियों ने रखा पक्ष
बेसिक शिक्षा विभाग का खंड शिक्षाधिकारी संवर्ग पदोन्नति कोटा संशोधित कर माध्यमिक शिक्षा विभाग के समूह ख के पदों का संविलियन चाहता है, जबकि राजकीय शिक्षक संघ माध्यमिक इसके विरोध में है। इसमें एक पक्ष महिला शिक्षक शाखा भी है। गुरुवार को विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में लखनऊ में बैठक हुई। इसमें अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा सहित राजकीय शिक्षक संघ पाण्डेय गुट की अध्यक्ष एवं महामंत्री, खंड शिक्षाधिकारी संघ तथा महिला शाखा माध्यमिक राजकीय संघ की दो पदाधिकारी शामिल हुईं। खंड शिक्षाधिकारी संवर्ग ने मांग रखी उनके पद (समूह-ग) को अधीनस्थ राजपत्रित समूह-ख के पदों के सापेक्ष मिलाकर समूह ख उच्चतर के पद पर उनकी भी पदोन्नति की जाए।
राजकीय शिक्षक संघ ने विरोध जताकर रखी अपनी बात
राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय अध्यक्ष छाया शुक्ला और महामंत्री रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय ने इसका विरोध करते हुए पक्ष रखा कि जब राजकीय में शिक्षण, प्रशिक्षण और निरीक्षण के अलग-अलग संवर्ग हैैं तो उनकी पदोन्नति भी अपने-अपने संवर्ग में ही होनी चाहिए। बताया कि वर्तमान में खंड शिक्षाधिकारी का पद नाम समूह-ख उच्चतर शैक्षिक सेवा नियमावली में सम्मिलित ही नहीं है। ऐसे में वह इस नियमावली के अंतर्गत कोटा की मांग ही नहीं कर सकते। उसे बढ़ाने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि उसके स्थान पर उप बेसिक शिक्षाधिकारी समतुल्य पद का नाम सम्मिलित है, जो कि हर जिले में एक था, जिसे समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा लिखित रूप से यह तर्क भी रखा कि खंड शिक्षाधिकारी के पास शिक्षण का कोई अनुभव नहीं है, जबकि समूह-ख उच्चतर के पदों पर सीधी भर्ती व पदोन्नति दोनों के लिए तीन वर्ष का अनुभव अनिवार्य है। मामले में प्रत्यावेदन दिए जाने पर महिला शाखा की पदाधिकारियों को भी बैठक में शामिल किया गया, जिन्होंने खंड शिक्षाधिकारियों की मांग का विरोध किया। राजकीय शिक्षक संघ ने कहा कि समूह-ख के पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों को 50 फीसद पुरुष व 50 फीसद महिला से भरा जाना चाहिए। इसे बढ़ाए जाने पर संघ, कोर्ट की शरण लेगा।