कलंक के खिलाफ
● विजिलेंस टीम ने प्रधानाध्यापक की शिकायत पर रंगे हाथ दबोचा
● जीपीएफ से पांच लाख रुपये ऋण स्वीकृति के लिए मांगी थी रकम
बेसिक शिक्षा विभाग में शमसाबाद ब्लाक में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी ब्रजराज सिंह बुधवार को आठ हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़े गए। विजिलेंस टीम ने तुलसी सिनेमा के पास एक रेस्टोरेंट के बाहर से उन्हें दबोचा।
प्रा. विद्यालय लहर पट्टी ब्लॉक शमसाबाद के प्रधानाध्यापक भैरोंनाथ सिंह ने जीपीएफ से पांच लाख ऋण के लिए आवेदन किया था। रिश्वत नहीं देने पर उनकी फाइल गायब कर दी गई थी। उन्होंने दोबारा आवेदन किया था। शिक्षक की शिकायत पर रात करीब 8.30 बजे विजिलेंस ने ब्रजराज सिंह को दबोचा।
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बेसिक शिक्षा विभाग में शमसाबाद ब्लाक में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी ब्रजराज सिंह बुधवार को आठ हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़े गए। विजिलेंस टीम ने तुलसी सिनेमा के पास एक रेस्टोरेंट के बाहर से उन्हें दबोचा। प्राथमिक विद्यालय लहर पट्टी ब्लॉक शमसाबाद में कार्यरत प्रधानाध्यापक भैरोंनाथ सिंह ने उनके खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने अपने जीपीएफ से पांच लाख रुपये ऋण के लिए आवेदन किया था। चढ़ावा नहीं देने पर उनकी फाइल गायब कर दी गई थी। उन्होंने दोबारा आवेदन किया था।
रात करीब साढ़े आठ बजे विजिलेस टीम ने ब्रजराज सिंह को दबोचा। विजिलेंस टीम ने उन्हें दबोचे के लिए जाल बिछाया था। शिकायत करने वाले भैरोंनाथ ने रिश्वत देने के लिए संपर्क किया था। आरोप है कि ब्रजराज सिंह ने उन्हें तुलसी सिनेमा के पास एक रेस्टेारेंट में बुलाया। विजिलेंस टीम पहले ही वहां पहुंच गई। सादा वर्दी में आए पुलिस कर्मी इधर-उधर फैल गए। जैसे ही ब्रजराज सिंह ने रिश्वत की रकम अपने हाथ में ली वैसे ही टीम ने उन्हें दबेाच लिया। कार्रवाई से मौके पर अफरा-तफरी मच गई। पहले तो किसी की समझ में नहीं आया कि क्या हुआ है। भीड़ जुट गई। आनन-फानन में टीम उन्हें गाड़ी में बैठाकर सुभाष पार्क स्थित विजिलेंस कार्यालय ले गई। देर रात तक वहां लिखापढ़ी चली। विजिलेंस टीम में आधा दर्जन से अधिक सदस्य शामिल थे। एसपी विजिलेंस रवि शंकर निम ने कार्रवाई की पुष्टि की है। विजिलेंस थाने में ही आरोपित खंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्हें गुरुवार को मेरठ स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में पेश किया जाएगा।
एक माह रहा बीएसए का चार्च
खण्ड शिक्षा अधिकारी ब्रजराज सिंह पर एक माह तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का भी चार्ज रहा था। इस दौरान उनके खिलाफ कई शिकायतें हुई थीं। विजिलेंस टीम को ऐसे पीड़ित की तलाश थी जो हिम्मत करके आगे आए। ताकि आरोपित को रंगे हाथ पकड़ा जा सके। विजिलेंस टीम को मौका मिल गया। इस बार शिकायत करने वाले ने खुलकर सामने आने की हिम्मत दिखाई। इससे पूर्व शिकायत करने वाले सामने आने को तैयार नहीं थे।
एक निलंबन चर्चाओं में आया
ब्रजराज सिंह के पकड़े जाने की खबर बहुत तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुई। ऐसा लगा जैसे कई लोगों को उनके पकड़े जाने का बेसब्री से इंतजार था। उन लोगों ने पूरा मैटर पहले ही बनाकर रख रखा था। ताकि उनके पकड़े जाते ही सबसे पहले सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल किया जाए। ऐसा ही हुआ। उनके पकड़े जाने के चंद मिनट बाद ही सोशल मीडिया पर उनकी गिरफ्तारी की खबर वायरल हुई। विजिलेंस अधिकारी मौके पर यह तक बताने को तैयार नहीं थे कि किसे पकड़ा गया है। वे पहले लिखापढ़ी करने की बात बोल रहे थे। वहीं दूसरी तरफ विजिलेंस अधिकारियों के बताने से पहले ही सोशल मीडिया पर पूरा प्रकरण छा गया। उसमें यह तक उल्लेख था कि किसने शिकायत की थी। कितनी रिश्वत ली गई थी। किस काम के एवज में रिश्वत मांगी गई थी।
कार्रवाई के बाद यह चर्चा भी जोरों पर थी कि बीएसए के चार्ज के दौरान ब्रजराज सिंह ने एक शिक्षक का गुपचुप तरीके से निलंबन किया था। निलंबन आदेश अपने पास छिपाकर रखा था। जब वेतन बनने का समय आया तो शिक्षक का निलंबन आदेश लेखा विभाग में भिजवाया गया। उस आदेश की जानकारी के बाद ही एक गुट उनके खिलाफ हो गया। यह तय कर लिया कि उनके कारनामों को उजागर करना है। यह बताना है कि किस तरह रिश्वतखोरी हावी है। इस चर्चा में कितनी सच्चाई है यह तो जांच में ही पता चलेगी।
शिक्षा विभाग में हर काम पैसे से होता है
पिछले दिनों विजिलेंस को शिक्षा विभाग से संबंधित कई शिकायत मिली थीं। शिकायत करने वालों ने यहां तक बताया कि शिक्षा विभाग में कोई काम बिना रिश्वत दिए नहीं होता है। शिक्षकों से एरियर बिल, चिकित्सा अवकाश स्वीकृत, महिला शिक्षिकाओं से उनकी प्रसूतिकालीन व बाल्य देखभाल अवकाश, जीपीएफ से ऋण आदि की स्वीकृति भी पैसा देने के बाद होती है। हर काम का पैसा पहले से तय है।
रिश्वत नहीं देने पर फाइल हुई गायब
प्राथमिक विद्यालय लहर पट्टी ब्लॉक शमसाबाद में कार्यरत प्रधानाध्यापक भैरोंनाथ सिंह मकान बनवाने के लिए अपने जीपीएफ से पांच लाख रुपये ऋण का आवेदन किया था। आरोप है कि पैसा नहीं देने पर खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से फाइल ही गायब कर दी गई। जब भैरोंनाथ सिंह ने इस बारे में जानकारी की तो उन्हें बताया गया कि फाइल तो तभी स्वीकृत होगी जब पैसा मिल जाएगा। इसी से परेशान होकर भैरोंनाथ सिंह ने शिकायत की थी।