नई दिल्ली: देश में दो साल से बड़े सभी बच्चों के टीकाकरण की राह खुल गई है। सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने भारत बायोटेक के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन को दो से 18 साल के बच्चों के लिए आपात इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। दवा नियामक ड्रग कंटोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआइ) की स्वीकृति के बाद कोवैक्सीन को बच्चों के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल कर लिया जाएगा।
दो से 18 साल के बच्चों पर दूसरे व तीसरे चरण के ट्रायल का डाटा इस महीने की शुरुआत में भारत बायोटेक ने सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) को दिया था। आंकड़ों के अध्ययन के बाद ही एसईसी ने इसे मंजूरी देने की सिफारिश की है। कोवैक्सीन से पहले भारत में जायडस कैडिला की स्वदेशी वैक्सीन जायकोव-डी को 12 से 18 साल के बच्चों के लिए मंजूरी दी जा चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कोवैक्सीन को इजाजत मिलने के बाद बड़े पैमाने पर बच्चों का टीकाकरण अभियान चलाया जा सकता है। 18 से अधिक उम्र के वयस्कों के टीकाकरण की रफ्तार अक्टूबर में धीमी हुई है। इससे राज्यों के पास टीके का स्टाक बढ़ता जा रहा है। वहीं कोवैक्सीन का उत्पादन भी अक्टूबर में 7.5 करोड़ डोज से अधिक होने का अनुमान है और नवंबर के बाद इसमें और बढ़ोतरी हो सकती है।
ऐसे में कोवैक्सीन को बच्चों के टीकाकरण अभियान के लिए सुरक्षित किया जा सकता है। जायडस कैडिला के जायकोव-डी से बच्चों के टीकाकरण को गति नहीं मिल पाएगी। इसकी उत्पादन क्षमता अभी मात्र 10 करोड़ डोज सालाना की है। यह तीन डोज वाली वैक्सीन है। ऐसे में 12 से 18 साल के 14 करोड़ बच्चों के टीकाकरण में बहुत समय लग जाएगा। कोवैक्सीन को मंजूरी मिलने से यह समस्या दूर होगी।
दो और वैक्सीन दौड़ में
भारत बायोटेक और जायडस कैडिला के अलावा भारत में बच्चों के लिए दो अन्य वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। इनमें एक वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट की कोवावैक्स है। डीसीजीआइ ने पिछले महीने सात से 11 साल के बच्चों पर इसके ट्रायल की अनुमति दी है। इसी तरह बायोलाजिकल ई की कोरबेवैक्स को भी पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए ट्रायल की अनुमति दी गई है।
अब आगे क्या?
एसईसी की सिफारिश के बाद दवा नियामक डीसीजीआइ से कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी का इंतजार है। भारत बायोटेक ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। ऐसा होते ही बच्चों का टीकाकरण अभियान शुरू किया जा सकता है।
क्या होगी टीकाकरण की प्रक्रिया?
अभी इस मामले में स्थिति यह स्पष्ट नहीं है। अधिकारी के अनुसार नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप आन इम्युनाइजेशन (एनटागी) की अनुशंसा के अनुरूप बच्चों का टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। माना जा रहा है कि किसी अन्य बीमारी से जूझ रहे बच्चों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
बच्चों के टीकाकरण में कितना वक्त लगेगा?
अनुमान के मुताबिक, देश में दो से 18 साल की उम्र के बच्चों की संख्या 35 करोड़ से ज्यादा है। शुरुआती स्तर पर यह कहना जल्दबाजी होगी कि सभी बच्चों के टीकाकरण में कितना समय लगेगा। हालांकि कोवैक्सीन को बच्चों के टीकाकरण के लिए संरक्षित करने के बाद मौजूदा उत्पादन क्षमता के अनुसार पांच महीने में हर बच्चे को कम से कम एक डोज लगाई जा सकती है।
अब तक क्यों नहीं शुरू हो पाया बच्चों का टीकाकरण?
जायडस कैडिला के डीएनए आधारित टीके जायकोव-डी को 12 से 18 साल के बच्चों के लिए अगस्त में ही मंजूरी मिल गई थी। अधिकारी का कहना है कि इस टीके को सामान्य इंजेक्शन से मांसपेशियों में दिए जाने के बजाय दूसरी तकनीक से त्वचा में प्रवेश कराया जाता है। इसके लिए पूरे देश में व्यवस्था बनाने में समय लग रहा है।