पिछले शैक्षिक सत्र तक बच्चों को स्कूल की तरफ से यूनिफार्म, जूता, मोजा, बैग, स्वेटर आदि सामग्री खरीद कर दी जाती थी। इसमें यूनिफार्म और स्वेटर का बजट स्कूल के खाते में आता रहा है और शिक्षक क्रय कर बच्चों का उपलब्ध कराते थे।
वहीं जूता, मोजा, बैग सीधे जिले से क्रय कर भेजे जाते थे। बेसिक शिक्षा विभाग ने चालू सत्र में व्यवस्था परिवर्तित करते हुए बच्चों के अभिभावकों के खाते में नगद धनराशि भेजने की व्यवस्था को लागू किया है।
इसके लिए विभाग ने डीबीटी एप बनाया है। इसमें शत प्रतिशत बच्चों के आधार, अभिभावकों के बैंक खाते फीड किए जाने हैं। ताकि सीधा पैसा उनके खाते में भेजा जा सके। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को बच्चों का ब्योरा फीड करने की जिम्मेदारी दी है।
हालात ये हैं कि एक पखवारे में दो लाख 67 हजार 991 बच्चों में सिर्फ 60 हजार का ब्योरा फीड हो सका है। जबकि डाटा फीडिंग की अंतिम तिथि पांच अक्तूबर है। ऐसे में पूरा ब्योरा फीड होता नहीं दिखाई दे रहा है। इस स्थिति में इस बार बच्चे ठंड में स्वेटर और जूते मोजे के अभाव में कांपते ही नजर आएंगे।
15 अक्तूबर तक बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजने की तैयारी है।
समय से डीबीटी एप में बच्चों के डाटा फीडिंग पूरा न कराने वाले बीईओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसलिए सभी बीईओ अपनी देखरेख में समय से फीडिंग का काम पूरा कराएं, जिससे समय से बच्चों को मिलने वाली सुविधाएं हासिल हो सकें।