प्रयागराज:कभी नौकरी की गारंटी रहे डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (पूर्व में बीटीसी) कोर्स के प्रति युवाओं का रुझान घट रहा है। डीएलएड के 2021 सत्र में प्रवेश के लिए प्रदेश के 106 प्राइवेट कॉलेजों को एक भी छात्र नहीं मिले। सैकड़ों कॉलेज ऐसे हैं जहां बमुश्किल एक दर्जन छात्र भी नहीं मिले हैं। पिछले साल सत्र शून्य होने से प्रवेश नहीं हुआ था और इस साल आधी सीटें भी नहीं भरने से इन कॉलेजों की कमाई खत्म हो गई है। अब इनके सामने अस्तित्व का संकट है।शिक्षकों और स्टाफ को वेतन देने से लेकर दूसरे खर्च उठाना नामुमकिन हो गया है। यूपी में 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में डीएलएड की 10600 सीटें हैं।
प्राइवेट कॉलेजों की संख्या 3087 है। इनकी 218300 सीटों पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रवेश लेता है। अल्पसंख्यक कॉलेज 50 प्रतिशत सीटों पर स्वयं प्रवेश लेते हैं। इस साल आवेदकों की संख्या कम होने से तीन बार आवेदन की तिथि बढ़ानी पड़ी। इसके बावजूद 2,40,292 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया था। एक अक्तूबर को जारी अंतिम आवंटन में 96134 सीटें भरी जा सकी थी। आधी से अधिक 132766 सीटें खाली रह गईं। बीटीसी 2013 प्रशिक्षण की 45350 सीटों पर 6.68 लाख, 2014 में 54,500 सीटों पर 4.99 लाख और 2015 में 81750 सीटों के लिए 3.85 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था।
क्रेज घटने के साथ डीएलएड कॉलेजों पर पड़ने लगे ताले
डीएलएड का क्रेज घटने के साथ ही प्राइवेट कॉलेजों पर ताले पड़ने लगे हैं। प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक कॉलेजों ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को पत्र लिखकर संबद्धता वापस लेने का अनुरोध किया है। ये कॉलेज अब डीएलएड का प्रशिक्षण नहीं कराना चाहते।
क्यों घटा क्रेज
-2018 में एनसीटीई ने बीएड को भी प्राथमिक शिक्षक भर्ती में मान्य कर दिया।
-अन्य प्रदेशों में 12वीं के बाद डीएलएड में प्रवेश होता है, यूपी में स्नातक के बाद।
-डीएलएड की काउंसिलिंग बीएड के साथ होने के कारण अभ्यर्थी बीएड की तरफ चले गए।