मथुरा। आदेशों का पालन न किए जाने से खफा हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी को पुलिस हिरासत में देने के मौखिक आदेश दे दिए। करीब 3.30 घंटे तक पुलिस हिरासत में रहने के बाद लिखित माफी और आदेश का पालन करने का लिखित आश्वासन देने पर कोर्ट द्वारा उन्हें राहत दी गई। मामला जनपद के नौहझील विकासखंड के एक परिषदीय शिक्षक की मृत्यु होने के बाद उनके परिजनों को ग्रेच्युटी न देने के मामले में न्यायालय के आदेश की अवमानना करने का है।
जानकारी के अनुसार, नौहझील विकासखंड के आजनौंठ विद्यालय में कार्यरत हरेकृष्णा की सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी। उनके द्वारा अपने जीवित रहते 60 वर्ष में सेवानिवृत्ति का विकल्प पत्र नहीं भरा गया था। जब उनकी पत्नी ने ग्रेच्युटी लेने के लिए आवेदन किया तो विभाग ने विकल्प पत्र न भरने की स्थिति में ग्रेच्युटी देने से इंकार कर दिया। इस आदेश के विरोध में मृतक की पत्नी मुनेश देवी हाईकोर्ट चली गईं। उच्च न्यायालय ने मुनेश देवी के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश दिया। इसके बाद भी विभाग द्वारा पीड़ित पक्ष को भुगतान नहीं किया गया।
इस पर पीड़िता मुनेश देवी ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल कर दी। इस याचिका पर 8 अक्टूबर को सुनवाई हुई। इस दौरान उच्च न्यायालय में पेश हुए मथुरा के वित्त एवं लेखाधिकारी राहुल यादव ने न्यायाधीश के समक्ष भी विभागीय आदेश का हवाला देते हुए ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इंकार कर दिया। इस पर न्यायाधीश द्वारा राहुल यादव को करीब 11.30 बजे पुलिस कस्टडी में दे दिया। सायं 3 बजे जब एओ राहुल यादव द्वारा कोर्ट में अपने अधिवक्ता के माध्यम से लिखित माफीनामा देते हुए 11 अक्टूबर तक मामले का निस्तारण करते हुए पत्रावली संयुक्त निदेशक कोषागार एवं पेंशन आगरा को भेजने का आश्वासन दिया। इसके बाद ही एओ राहुल यादव को राहत दी गई। एओ राहुल यादव को करीब 3.30 घंटे पुलिस कस्टडी में बिठाए जाने की जानकारी मिलने पर स्थानीय शिक्षा अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि उनके द्वारा वित्त एवं लेखाधिकारी को मामले का निस्तारण करने के लिए पत्र लिखा गया था। पत्र में उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला भी दिया गया था। अब उन्हें न्यायालय द्वारा पुलिस कस्टडी में बिठाने की मेरे पास कोई जानकारी नहीं है।
वित्त एवं लेखाधिकारी राहुल यादव ने बताया कि करीब 12.45 बजे उनके मामले की सुनवाई हुई। तब मेरे द्वारा विभागीय आदेश का हवाला देते हुए पक्ष रखा गया हालांकि कोर्ट द्वारा उसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद लंच हो गया और उसके बाद मेरे द्वारा अधिवक्ता के माध्यम से 11 अक्टूबर तक पत्रावली अग्रसारित करने के लिए 11 अक्टूबर तक समय लिया गया। पत्रावली का निस्तारण करते हुए 09 अक्टूबर को ही अग्रसारित कर दिया गया है। पुलिस कस्टडी में बिठाने की बात पर उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि लंच हो गया था और इसके चलते ही वह बाहर बैठे थे।
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी ने विषबाण न्यूज को बताया कि एओ राहुल यादव पीड़ित पक्ष की पत्रावली को अग्रसारित नहीं कर रहे थे। उनके द्वारा विभागीय आदेशों का हवाला देते हुए ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इंकार कर दिया था। इस पर न्यायालय द्वारा उन्हें पुलिस कस्टडी में बिठा दिया गया। यदि एओ द्वारा लिखित माफीनामा और पत्रावली को अग्रसारित करने का आश्वासन नहीं दिया जाता तो उन्हें नैनी जेल भेजा जा सकता था। अब एओ द्वारा 11 अक्टूबर तक आदेश का अनुपालन करते हुए पत्रावली को संयुक्त निदेशक कोषागार एवं पेंशन आगरा को अग्रसारित करने का लिखित आश्वासन दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होनी है।