लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इंटर कॉलेजों में संबंद्ध प्राथमिक स्कूलों में बीपीएड ( BPAD ) डिग्री धारकों की नियुक्ति को गलत करार दिया है। कोर्ट ने इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट 2021 व अन्य प्रावधानों का जिक्र करते हुए गोंडा के विवेकानंद इंटर कॉलेज में संबंद्ध प्राइमरी स्कूल में बीपीएड डिग्री के आधार पर तैनात एक सहायक शिक्षक की सेवा समाप्त करने संबंधी आदेश को सही करार दिया। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने या अहम फैसला वह आदेश राकेश कुमार की याचिका को खारिज करते हुए सुनाया ।
सुनवाई के दौरान कोर्ट में नियुक्ति संबंधी कानून प्रावधानों का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया कि विधायिका के साफ मंशा है कि ऐसे स्कूलों में नियुक्ति के लिए स्नातक के साथ बीटीसी, एचटीसी या सीटी की डिग्री आवश्यक होगी और यदि उनकी डिग्री धारक नहीं मिली तो उनके स्थान पर बीपीएड डिग्री धारकों रखा जाएगा। किंतु ऐसे प्रावधान नहीं है कि बीटीसी, एचटीसी व सीटी धारक की उपलब्धता न होने पर बीपीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति दी जाए। याची वोडा की विवेकानंद इंटर कॉलेज से संबद्ध प्राइमरी स्कूल मैं सहायक शिक्षक पद पर तैनात था।
20 अक्टूबर 2014 को कालेज प्रबंधन ने उसे नौकरी के लिए बीपीएड डिग्री के साथ आवेदन करने के कारण हटा दिया था। जबकि नियमानुसार यह डिग्री सहायक शिक्षक पद पर चयन के लिए मान्य नहीं थी। कालेज प्रबंधन की इस आदेश पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने भी 27 दिसंबर 2016 को मुहर लगा दी थी। इसके बाद याची की आदेश को 2017 में हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने याचिका खारिज कर फैसले में बीपीएड डिग्री के आधार पर तैनात याची की सेवा समाप्त करने संबंधी आदेश को सही करार दिया।