इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछड़ा वर्ग के क्षैतिज आरक्षण में असफल होने व सामान्य कोटे की चयनित महिला अभ्यर्थी से अधिक अंक पाने के बावजूद पुलिस कांस्टेबल भर्ती में नियुक्ति देने से इनकार को मनमानापूर्ण करार दिया है। कहा कि आरक्षण लेने के कारण नियुक्ति देने में भेदभाव नहीं किया जा सकता। सामान्य वर्ग की चयनित महिला अभ्यर्थी से अधिक अंक प्राप्त करने वाली याचियों को नियुक्ति पाने का हक है।
कोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड व राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के सौरव यादव केस के फैसले के तहत तीन माह में याचियों की नियुक्ति की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने रुचि यादव व 15 अन्य, प्रियंका यादव व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह ने बहस की। याचियों का कहना था कि क्षैतिज आरक्षण में उन्हें कट आफ मेरिट से कम अंक प्राप्त हुए, जिससे उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी। अब भी बहुत से पद खाली हैं और उन्हें सामान्य वर्ग की अंतिम चयनित महिला अभ्यर्थी के अंक से अधिक अंक मिले हैं।
इसलिए उन्होंने आरक्षण मांगा था। कोर्ट ने कहा कट आफ मेरिट अंक से अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता। सरकार का कहना था कि याचियों को आरक्षण का दोहरा लाभ नहीं मिल सकता। वह पिछड़े वर्ग की महिला कोटे में सफल नहीं हुईं तो सामान्य वर्ग के महिला कोटे की बराबरी की मांग नहीं कर सकतीं। किंतु कोर्ट ने नहीं माना और पिछड़े वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को सामान्य कोटे की महिला अभ्यर्थी से अधिक अंक के आधार पर नियुक्ति का आदेश दिया है।