उत्तर प्रदेश के अनुदानित मदरसों में शिक्षकों की भर्ती में उर्दू की अनिवार्यता खत्म की जाएगी। इस बारे में एक प्रस्ताव उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद की ओर से एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। यह जानकारी परिषद के रजिस्ट्रार आर पी सिंह ने दी है। उन्होंने बताया कि राज्य के अनुदानित मदरसों में वैकल्पिक विषय हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान आदि वैकल्पिक विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती की योग्यता में उर्दू की अनिवार्यता खत्म करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही यह नई व्यवस्था लागू हो जाएगी।
अभी तक इन वैकल्पिक विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती में उर्दू की अनिवार्यता की व्यवस्था है। मगर हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान आदि विषयों के विशेषज्ञ शिक्षकों उर्दू अनिवार्यता के कारण दिक्कतें पेश आ रही हैं। इन वैकल्पिक विषयों को पढ़ाने के लिए हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान आदि के विशेषज्ञ शिक्षक आसानी से नहीं मिल पाते। यही नहीं इन वैकल्पिक विषयों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए उर्दू की अनिवार्यता का कोई औचित्य भी नहीं बनता है।
प्रदेश में 560 अनुदानित मदरसे हैं और ऐसे हर मदरसे में वैकल्पिक विषय पढ़ाने वाले दो शिक्षक होते हैं जिनका वेतन अन्य सरकारी शिक्षण संस्थानों की तरह प्रदेश सरकार की तरफ से दिया जाता है। उधर, मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा. इफ्तिखार जावेद ने बताया कि नवगठित मदरसा शिक्षा परिषद की मंगलवार को पहली बैठक होने जा रही है। इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की जाएगी।
इस बैठक में आल इडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस-ए-अरबिया द्वारा उठाये गये कुछ मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव वहीदुल्लाह खान ने बताया कि उन्होंने अपने संगठन की ओर से मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में कामिल यानि स्नातक और फाजिल यानि स्नातकोत्तर स्तर के मदरसों को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय से डा. सम्पूर्णानंद संस्कृति वि.वि.वाराणसी के 1956 में बने एक्ट के समान सम्बद्धता प्रदान की जाए।