अलीगढ़, । काेरोना काल में या उसके बाद भी गुरुजी के शिक्षण का ब्योरा लर्निंग पासबुक में सुरक्षित रखने की व्यवस्था बनाने की योजना शासनस्तर से बनाई गई थी। हर शिक्षक की लर्निंग पासबुक बनाने का काम शुरू कर दिया गया था। शासनस्तर से निर्णय किया गया कि शिक्षक को अपनी आनलाइन शिक्षण सामग्री का डेबिट-क्रेडिट एक क्लिक पर पता चल सके। दीक्षा एप के जरिए इस व्यवस्था को शुरू करने की योजना भी बनाई गई। मगर धरातल पर तमाम शिक्षकों की लर्निंग पासबुक घरों में रखी बैंक पासबुक की तरह हो गई है, जो ढूंढ़ने पर ही मिलती है। इसके अलावा शिक्षक डायरी भी शिक्षकों की ओर से नहीं भरी जा रही है। इसके संबंध में अफसरों को ज्ञापन सौंपकर मांग भी की गई कि शिक्षक डायरी भरने का प्रशिक्षण दिलाया जाए लेकिन मांग पूरी नहीं की जा सकी।
लर्निंग पास बुक से पता चलेगा शिक्षक ने कोर्स को कितना जाना है
इस एप पर शिक्षकों के लिए हर हफ्ते का कोर्स तैयार किया गया। साथ ही विद्यार्थियों के लिए भी कोर्स तैयार किए गए। डिजिटल डायरी की तर्ज पर काम करने वाली लर्निंग पासबुक से पता चलेगा कि शिक्षक ने अपने लिए तैयार कोर्स को कितना जाना है? क्या समझा है? और विद्यार्थी को उसमें से कितना व क्या पढ़ा पाए हैं? इसकी मदद से शिक्षक खुद अपनी प्रगति की समीक्षा कर उसे और बेहतर करने का प्रयास कर सकेंगे।
मगर ऐसा होता सरकारी स्कूलों में संभव नहीं दिख रहा है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलामंत्री सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि बीएसए से मांग की गई थी कि शिक्षक डायरी भरने के संबंध में प्रशिक्षण दिलाया जाए। तभी शिक्षकों को शिक्षक डायरी भरने में सहूलियत होगी। मगर शिक्षकों को शिक्षक डायरी भरने का प्रशिक्षण नहीं दिलाया गया। बीएसए सतेंद्र कुमार ढाका ने कहा कि लर्निंग पासबुक हर शिक्षक को तैयार कर उसके हिसाब से शिक्षण कार्य कराना है। लर्निंग पासबुक सभी की तैयार हो इसकी व्यवस्था जल्द पूरी की जाएगी।