लखनऊ :प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों में नए शासनादेश के अनुसार शोध निर्देशकों (रिसर्च गाइड) के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नए नियमों के तहत महाविद्यालयों के स्नातक विभागों के शिक्षकों को भी शोध निर्देशक बनाने की व्यवस्था होने से विश्वविद्यालयों में पीएचडी की सीटें भी बढ़ जाएंगी। इससे उच्च शिक्षा में शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।पिछले माह जारी शासनादेश में अब यह व्यवस्था कर दी गई है कि यूजीसी द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर महाविद्यालयों के सभी परास्नातक व स्नातक विभागों के शिक्षकों द्वारा शोध निर्देशन किया जाएगा।
ऐसे सभी नियमित व पूर्णकालिक शिक्षक जो खुद पीएचडी डिग्रीधारी हों तथा कम से कम पांच शोध पत्र ‘रेफर्ड जर्नल्स में प्रकाशित हो, वे शोध निर्देशन कर सकेंगे। इससे पहले अलग-अलग विश्वविद्यालयों में अलग-अलग नियम थे। कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा महाविद्यालयों के शिक्षकों को शोध निर्देशक नहीं बनाया जा रहा था तो कुछ ने केवल परास्नातक विभागों के शिक्षकों को ही यह अधिकार दिया था। इससे पीएचडी की सीटें भी नहीं बढ़ पा रही थीं क्योंकि यूजीसी ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पीएचडी की सीटें तय कर रखी हैं। शिक्षकों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर पीएचडी के छात्र आवंटित किए जाते हैं।शासन ने विश्वविद्यालयों से शोध निर्देशकों के चयन की पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने को कहा है। साथ ही राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों का स्थानान्तरण होने पर शोध निर्देशक बदलने के संबंध में नीति बनाने का अधिकार विश्वविद्यालयों को ही दे दिया है। फिलहाल महाविद्यालयों के शिक्षकों के शैक्षिक ब्योरा जुटाकर उन्हें पीएचडी की सीटें आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इससे शोध निर्देशन के संबंध में नियमों में एकरूपता भी आ गई है।