प्रतापगढ़:जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत खस्ता है। अधिकांश केंद्रों पर ताले लटक रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण केंद्र कागज पर ही संचालित किए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे तो नामांकित हैं, मगर उनकी उपस्थिति न के बराबर है। शहर और गांव के आंगनबाड़ी केंद्रों के हालात एक जैसे हैं। ना कोई हकीकत देखने वाला है और ना ही इन पर कोई कार्रवाई करने वाला।बृहस्पतिवार की सुबह 10:20 बजे भुलियापुर आंगनबाड़ी केंद्र में ताला लटकता मिला। 10:40 बजे शुकुलपुर आंगनबाड़ी केंद्र भी बंद था। 10:50 बजे प्राथमिक विद्यालय दहिलामऊ में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में एक कार्यकर्ता और सहायिका 16 बच्चों को लेकर बैठी हुई थीं, जबकि केंद्र में 25 बच्चे नामांकित हैं। सदर विकास क्षेत्र के पूरे ईश्वरनाथ आंगनबाड़ी केंद्र में तीन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की तैनाती है।सुबह 11 बजे यहां मात्र एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनीता पाल और दो सहायिका मौजूद मिलीं, जबकि बच्चे एक भी नहीं थे। रजिस्टर में 120 बच्चे पंजीकृत हैं। बेलखरनाथधाम विकासखंड में स्वयं के भवन में चलने वाले आंगनबाड़ी केंद्र में दोपहर 12.10 बजे ताला लटक रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि यह केंद्र लगभग एक साल से बंद है। इसका ताला कभी नहीं खुलता है।
स्वयं सहायता समूह ने तहस-नहस कर दी व्यवस्था
आंगनबाड़ी केंद्रों पर तेल, दाल और दूध बच्चों को वितरित करने के लिए आता है। इन सामानों की आपूर्ति की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को दी गई है। केंद्रों तक पहुंचते-पहुंचते आधा सामान गायब हो जाता है। इससे बच्चों को नियमित रूप से पोषक आहार नहीं मिल पाता है। जिससे बच्चों में केंद्र पर जाने की रुचि नहीं होती है।
निरीक्षण करने नहीं जाता कोई अधिकारी
आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने के लिए ब्लॉकों में सीडीपीओ और मुख्य सेविकाओं की तैनाती की गई है। मगर वह स्वयं घरों से काम करती हैं। इसलिए केंद्र देखने नहीं जाती हैं। बृहस्पतिवार को सदर क्षेत्र की सीडीपीओ माधुरी देवी से केंद्रों का हाल जानने का प्रयास किया गया, मगर उनका फोन नहीं उठा।