नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे 1484 गरीब बच्चों का तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये सरकार के पास फंसा है। सरकार हर साल प्रत्येक बच्चे को निजी स्कूल की यूनिफॉर्म और किताब के लिए पांच हजार रुपये की सहायता देती है। लेकिन कोरोना काल में ढाई साल से यह राशि नहीं मिलने के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। यह स्थिति पूरे प्रदेश में बनी है।
अभिभावक रोजाना खंड शिक्षाधिकारियों के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। आरटीई के तहत सालाना एक लाख तक पारिवारिक आय वाले अलाभित समूह और दुर्बल वर्ग के बच्चों को प्राइवेट कॉन्वेंट स्कूलों में कक्षा एक और प्री प्राइमरी कक्षाओं में लॉटरी के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। इन बच्चों की फीस देने के साथ ही सरकार सालाना यूनिफॉर्म और किताब के लिए पांच-पांच हजार रुपये अभिभावकों के खाते में भेजती है।
प्रयागराज में 2020-21 सत्र में नवप्रवेशी 858 बच्चों को तो पांच हजार रुपये यूनिफॉर्म और किताब के लिए मिला था। लेकिन 2019-20 और 2020-21 सत्र के 1484 बच्चों को यह मदद नहीं मिल सकी है। इन बच्चों का एक साल का कुल भुगतान 74.20 लाख के हिसाब से दो साल का 1.48 करोड़ रुपये रुका है। इस दौरान कोरोना के कारण उपजे हालात में अभिभावकों के लिए बच्चों की यूनिफॉर्म और किताब का इंतजाम करना कठिन हो गया।
इनका कहना है
जिन बच्चों को यूनिफॉर्म और किताब की सहायता राशि नहीं मिल सकी है उनका मांगपत्र बनाकर शासन को भेजा गया है। बजट आवंटित होते ही भुगतान किया जाएगा।
प्रवीण कुमार तिवारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी
आरटीई के तहत निजी स्कूलों में हुए प्रवेश
सत्र बच्चों की संख्या