सीतापुर: मछरेहटा में वर्ष 2009 में शिक्षिका की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 12 अभिषेक उपाध्याय ने हत्याभिुयक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। शिक्षिका की हत्या के करीब 12 वर्ष बाद यह फैसला अदालत ने सुनाया है। हत्याभियुक्त को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है।
घटना 10 सितंबर 2009 की है। लखनऊ की रहने वाली शिक्षिका मछरेहटा के भदेभर स्कूल में तैनात थीं। वह प्रतिदिन ट्रेन से आती थीं। उस दिन भी वह घर से निकलीं। सुबह 7:19 बजे तक शिक्षिका की उनके पति से बात भी होती रही। इसी बीच दोपहर करीब 12 बजे शिक्षिका का शव स्कूल जाने वाली रोड के किनारे एक खेत में मिला। इस मामले में पुलिस ने विवेचना के पश्चात अदालत में चार्जशीट दाखिल की। इसमें यह कहा गया कि घटना वाले दिन तीन बच्चों ने सुरेश बाबा उर्फ चैंपियन को शिक्षिका को घसीटते हुए खेत में ले जाते देखा था। शिक्षिका के मोबाइल की बरामदगी भी अभियुक्त की निशानदेही पर ही हुई थी। इस मामले में पुलिस ने शिक्षिका के मोबाइल के आइएमईआइ नंबर का हवाला देकर काल डिटेल भी प्रस्तुत की थी।
इस तरह अदालत ने माना गुनहगार : इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान तमाम उतार चढ़ाव आए। बच्चे बाद में मुकर गए थे। अदालत ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका के शरीर पर आईं आठ चोटों, मृत शुक्राणु पाए जाने, मोबाइल फोन की बरामदगी और उससे हुई काल को महत्वपूर्ण माना। काल रिसीव करने वाले व्यक्ति ने भी यह स्वीकार किया था कि सुरेश ने उसे फोन किया था। इसी से यह माना गया कि सुरेश उर्फ बाबा ही वह आखिरी व्यक्ति था, जिसकी शिक्षिका से मुलाकात हुई। मृत शिक्षिका के साथ हुई वारदात का गुनहगार वही साबित हुआ। इसी आधार पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अभिषेक उपाध्याय ने हत्याभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में अभियोजन पक्ष की सफल पैरवी जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता संदीप त्रिपाठी ने की।
जज ने हत्याभियुक्त से पूछा, आपको कुछ कहना है… : हत्याभियुक्त सुरेश बाबा उर्फ चैंपियन को दोपहर 2:40 बजे अदालत में लाया गया। उसकी आंखें नम थीं। गला रुंधा था। जज ने उससे पूछा कि आपको कुछ कहना है। उसने हाथ जोड़कर कहा कि हमें कुछ नहीं कहना। इसके करीब 20 मिनट बाद न्यायाधीश ने अलग-अलग धाराओं की सजा पढ़कर सुनाई।
हुआ था बड़ा आंदोलन, जारी हुआ था शासनादेश : शिक्षिका की हत्या के बाद सीतापुर में शिक्षकों ने बड़ा आंदोलन छेड़ा था। काफी दिनों तक सीतापुर में हंगामा हुआ और यह आंदोलन प्रदेशभर में सुर्खियों में रहा था। इसी के बाद प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षिकाओं की तैनाती के संबंध में शासनादेश जारी किया गया था, जिसमें शिक्षिकाओं को रोड से दो किमी की परिधि के स्कूलों में तैनाती देने के निर्देश दिए गए थे।
पति बोले, हुई न्याय की जीत : देर से ही सही, न्याय की जीत हुई…। कोर्ट ने फैसला सुनाया तो उनके शिक्षक पति भी वहीं पर मौजूद थे। फैसला होने के बाद उन्होंने कहा कि यह सच्चाई की जीत है। उन्होंने शिक्षक साथियों और अधिवक्ताओं के सहयोग को भी सराहा।