लखनऊ, राज्य सरकार के अनुरोध और पैरवी को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने प्रदेश में नोटरी अधिवक्ताओं के 5000 और पद आवंटित कर दिए हैं। केंद्र की ओर से इसकी अधिसूचना बीती 18 अक्टूबर को जारी कर दी गई है। नोटरी के इन नए पदों में से आधे राज्य सरकार और आधे केंद्र की ओर से भरे जाएंगे। कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने बुधवार को न्याय विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाकर उन्हें निर्देश दिया कि केंद्र सरकार की ओर से आवंटित नोटरी अधिवक्ताओं के नए पदों पर भर्ती प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाए।
अभी तक उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में नोटरी अधिवक्ता के कुल 2625 पद ही थे। इस वजह से वादकारियों और आम जनता को कई तरह की विधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। हाल के वर्षों में प्रदेश में बड़ी संख्या में न्यायालयों का गठन हुआ है। प्रदेश में 110 नई पारिवारिक अदालतें, 218 नये फास्ट ट्रैक पाक्सो कोर्ट, 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट महिलाओं के लिए, 13 नये कामर्शियल कोर्ट व सभी जिलों में मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई।
इसके अलावा न्यायाधीशों के नए पद सृजित किये गए हैं जिनमें सिविल जज जूनियर डिवीजन के 610, सिविल जज सीनियर डिवीजन के 100 व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश स्तर के 100 पद शामिल हैं। प्रदेश में बड़ी संख्या में नई तहसीलें भी सृजित की गई हैं। इससे विधिक कार्यों में नोटरी अधिवक्ताअें की काफी कमी महसूस की जा रही थी।इस समस्या के समाधान के लिए कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने केंद्रीय कानून मंत्री और कानून मंत्रालय के उच्चाधिकारियों से मुलाकात कर प्रदेश में नोटरी अधिवक्ताओं के पद बढ़ाने की मांग की थी।
पांच हजार सहायकों को भी मिलेगा रोजगार : कानून मंत्री ने बताया कि एक अध्ययन के मुताबिक नियुक्त किये जाने वाले नोटरी अधिवक्ताओं को कम से कम 30 हजार रुपये मासिक लाभ होने वाला है। इसके अतिरिक्त, इन पांच हजार नोटरी अधिवक्ताओं के नियुक्त होने से अप्रत्यक्ष रूप से पांच हजार सहायकों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।